PM मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत की बड़ी बैठक, क्या 2029 की रणनीति तय हो गई?

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By Ankit Kumar

🕒 Published 4 months ago (6:47 AM)

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने 2029 के आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए अपने रिश्तों को और मजबूत करने का निर्णय लिया है। यह साझेदारी उनके राजनीतिक गठबंधन को और सुदृढ़ बनाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस के संबंध हमेशा से चर्चा में रहे हैं। कभी उनके बीच मतभेद की खबरें सामने आईं, तो कभी यह संकेत मिला कि दोनों संगठन एक-दूसरे से दूरी बना रहे हैं।

हालांकि, हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया और यह स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी और आरएसएस के बीच कोई मतभेद नहीं है। इस बैठक में दोनों संगठनों ने 2029 के आम चुनावों के लिए एक विस्तृत रणनीति पर चर्चा की और इसे मूर्त रूप देने की दिशा में काम शुरू कर दिया।

आरएसएस और बीजेपी के रिश्तों में नया मोड़

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में आरएसएस की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि यह संगठन केवल एक राजनीतिक इकाई नहीं है, बल्कि भारतीय राजनीति की आत्मा है। यह बयान दर्शाता है कि आरएसएस का प्रभाव अब बीजेपी पर और भी गहरा हो चुका है। मोदी का यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि 2013 के बाद यह उनका पहला दौरा था। उन्होंने आरएसएस के संस्थापक डॉ. केबी हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी और संगठन की महत्ता को स्वीकार किया।

2029 के लिए साझा रणनीति

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बीजेपी और आरएसएस की इस बढ़ती निकटता के पीछे 2029 के चुनावों की रणनीति है। मोदी ने अपने भाषण में संकेत दिया कि आरएसएस के कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक की भूमिका भारतीय राजनीति के भविष्य के लिए अहम होगी। यह स्पष्ट करता है कि आने वाले चुनावों के लिए दोनों संगठन एक साझा लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं।

बीजेपी की ओर से भी यह संकेत दिया गया है कि पार्टी अपनी भविष्य की योजनाओं में आरएसएस के विचारों और मार्गदर्शन को अधिक प्राथमिकता देगी। यह गठबंधन आने वाले विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, खासकर हरियाणा, महाराष्ट्र और अन्य प्रमुख राज्यों में।

साझा हित और आगामी चुनाव

बीजेपी और आरएसएस के इस नए गठबंधन का प्रभाव आगामी विधानसभा चुनावों में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। पिछले कुछ वर्षों में दोनों संगठनों के बीच मतभेद की खबरें आई थीं, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि इनके रिश्ते पहले से ज्यादा मजबूत हैं। विधानसभा चुनावों में इस रणनीति का असर दिखेगा, जिससे बीजेपी को आरएसएस के सहयोग से मजबूती मिलेगी।

आरएसएस के शताब्दी वर्ष और बीजेपी की कार्यकारिणी बैठक

आने वाले दिनों में बीजेपी की कार्यकारिणी बैठक और आरएसएस के शताब्दी वर्ष समारोह भी इस रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन दोनों आयोजनों में बीजेपी और आरएसएस अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम करेंगे। बेंगलुरु में होने वाली बीजेपी की कार्यकारिणी बैठक में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा भी संभव है, जो 2029 के चुनावों के लिए पार्टी की स्थिति को और मजबूत करेगा।

2029 के चुनावों में नई रणनीति का प्रभाव

बीजेपी और आरएसएस के बीच यह नया गठबंधन सिर्फ 2024 तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि 2029 की चुनावी रणनीति को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह स्पष्ट हो चुका है कि दोनों संगठनों के बीच का सहयोग भारतीय राजनीति में उनकी भूमिका को और अधिक सशक्त करेगा। यह गठबंधन 2029 तक भारतीय राजनीति को एक नई दिशा देने में सक्षम हो सकता है।

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