जिन्ना हाउस पर बड़ा फैसला जल्द, 1500 करोड़ की विरासत बनने जा रही है ‘डिप्लोमैटिक एन्क्लेव’

मुंबई। भारत के विभाजन के इतिहास से गहराई से जुड़ी एक इमारत — जिन्ना हाउस — एक बार फिर चर्चा में है। मुंबई के पॉश इलाके मालाबार हिल में स्थित यह भव्य बंगला, जो कभी मोहम्मद अली जिन्ना का निजी निवास था, अब एक बड़े फैसले की दहलीज पर खड़ा है। सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्रालय इसे पुनरुद्धार के बाद डिप्लोमैटिक एन्क्लेव के रूप में उपयोग में लेने की योजना बना रहा है।

इतिहास से जुड़ी विरासत
साल 1936 में मोहम्मद अली जिन्ना ने इस बंगले को अपने लिए बनवाया था। करीब ढाई एकड़ में फैली इस इमारत को इटली से मंगाए गए संगमरमर और वहां के कारीगरों से बनवाया गया था। इसकी वास्तुकला का खाका प्रसिद्ध आर्किटेक्ट क्लॉड बैटले ने तैयार किया था। उस समय इस पर 2 लाख रुपये खर्च हुए थे — जो उस दौर की एक बड़ी राशि थी।

इमारत का असली नाम ‘साउथ कोर्ट’ है, लेकिन विभाजन के समय से इसे ‘जिन्ना हाउस’ कहा जाने लगा। आज इसकी अनुमानित बाजार कीमत लगभग 1500 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। हालांकि, इसकी कई दीवारें अब जर्जर हो चुकी हैं और पुनरुद्धार की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

कभी शत्रु संपत्ति, अब नया रूप
भारत के बंटवारे के बाद, जिन्ना पाकिस्तान चले गए और यह बंगला शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। हालांकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू इसे जिन्ना को वापस देने के पक्षधर थे। लेकिन जिन्ना की 1948 में मृत्यु हो गई और यह फैसला अधर में लटक गया। अंततः 1949 में यह बंगला भारत सरकार के अधिकार में आ गया।

एक समय यह इमारत ब्रिटिश हाई कमिशन के कार्यालय के रूप में प्रयुक्त होती रही। 1981 के बाद इसे भारतीय संस्कृति संबंध परिषद को सौंपा गया और 2018 में विदेश मंत्रालय को इसकी देखरेख की जिम्मेदारी मिली।

बेटी दीना वाडिया की कानूनी लड़ाई
जिन्ना की बेटी दीना वाडिया ने इस संपत्ति पर अपने अधिकार को लेकर लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ी। उनका तर्क था कि वह जिन्ना की कानूनी उत्तराधिकारी हैं और संपत्ति में उनका अधिकार बनता है। हालांकि जिन्ना ने अपनी वसीयत में यह बंगला अपनी बहन फातिमा जिन्ना के नाम कर दिया था, जो उनके साथ पाकिस्तान चली गई थीं।

दीना ने यहां तक तर्क दिया कि जिन्ना के परिवार की हिंदू जड़ें रही हैं, इसलिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू होना चाहिए। लेकिन उनका यह दावा न्यायिक प्रक्रिया में सफल नहीं हो सका।

डिप्लोमैटिक एन्क्लेव बनने की तैयारी
अब जब विदेश मंत्रालय इसे ‘हैदराबाद हाउस’ की तर्ज पर विकसित करने की योजना बना रहा है, तो जिन्ना हाउस एक बार फिर राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बन गया है। इससे न केवल एक ऐतिहासिक इमारत का संरक्षण होगा, बल्कि इसका व्यावहारिक उपयोग भी संभव हो पाएगा।

मालाबार हिल जैसे प्रतिष्ठित इलाके में स्थित यह बंगला न केवल वास्तुशिल्पीय दृष्टि से अद्वितीय है, बल्कि इसके माध्यम से भारतीय इतिहास के एक जटिल अध्याय को भी छुआ जा सकता है।

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