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Big Action on Pahalgam Terrorist Attack Update : पाकिस्तान की घबराहट साफ: राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक में डरे-डरे नजर आए शहबाज और जनरल मुनीर

पहाेलगाम हमले के बाद भारत की सख्त कार्रवाई से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। भारत द्वारा लिए गए पांच बड़े फैसलों के बाद पाकिस्तान सरकार ने गुरुवार को आनन-फानन में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक बुलाई। हालांकि, इस बैठक से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की रैली से अपने स्पष्ट इरादे जाहिर कर दिए, जिसने इस्लामाबाद की चिंता और बढ़ा दी।

बैठक की तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर की चेहरे की रंगत उड़ी हुई थी। दोनों के चेहरों पर तनाव और बेचैनी साफ झलक रही थी। यह वही तरह का दृश्य था जो फरवरी 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद देखा गया था, जब भारत की सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान बुरी तरह हिल गया था।

बालाकोट के बाद का डर अब भी ज़िंदा

बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने जबाबी कार्रवाई की कोशिश की थी, जिसमें उसका एफ-16 लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना ने मार गिराया था। इस दौरान विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का मिग-21 विमान क्रैश होकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में जा गिरा था और वह पकड़े गए थे। भारत ने साफ संदेश दिया था कि अगर अभिनंदन को सुरक्षित नहीं लौटाया गया, तो कार्रवाई तय है।

2020 में पाकिस्तान के तत्कालीन सांसद सरदार अयाज सादिक ने संसद में जो बयान दिया था, उसने उस दौर की घबराहट को पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया। उन्होंने कहा था कि “सेना प्रमुख जनरल बाजवा उस समय कांप रहे थे और पसीने-पसीने हो गए थे। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि अगर हमने अभिनंदन को नहीं छोड़ा, तो भारत रात 9 बजे हमला कर देगा।”

पाकिस्तान की ‘सख्ती’ सिर्फ दिखावा?

भारत की ताजा कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान की सुरक्षा समिति ने बैठक कर एक बार फिर दिखाने की कोशिश की कि वह डरा नहीं है। लेकिन जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं। यह राजनीतिक संदेश से ज्यादा आंतरिक घबराहट को छिपाने की कोशिश नजर आ रही है।

पाकिस्तान ने भारत के लिए एयर स्पेस बंद करने का फैसला लिया है और वाघा बॉर्डर को अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा कर दी है। साथ ही उसने 1972 के शिमला समझौते को भी स्थगित करने की चेतावनी दी है। इन सब घोषणाओं के बावजूद बैठक में मौजूद नेताओं और सैन्य अधिकारियों की बॉडी लैंग्वेज उनके भीतर के डर को छिपा नहीं सकी।

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