पवित्र भस्म यानी राख का उपयोग भारतीय सनातन परंपरा में केवल पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका गहरा वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक महत्व भी है। हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार इसे शरीर पर लगाना न सिर्फ आध्यात्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि कई शारीरिक लाभ भी देता है।
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धार्मिक मान्यता: शिव तत्व का प्रतीक
भस्म को शिव का प्रतीक माना गया है। शिव भक्त इसे त्रिपुंड (तीन क्षैतिज रेखाएं) के रूप में माथे, छाती और बाहों पर लगाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि यह अहंकार को नष्ट करता है, व्यक्ति को पवित्र बनाता है और मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है।
स्वास्थ्य लाभ: आयुर्वेद में प्रमाणित
भस्म में मौजूद प्राकृतिक क्षार और औषधीय तत्व त्वचा को फंगल इंफेक्शन, एलर्जी और पसीने की दुर्गंध से बचाते हैं।
माथे पर भस्म लगाने से आज्ञा चक्र सक्रिय होता है, जिससे ध्यान बढ़ता है और मानसिक शांति मिलती है।
इसके अलावा, भस्म शरीर की गर्मी को संतुलित करता है, जिससे शरीर शांत और ठंडा बना रहता है।
आयुर्वेद के अनुसार, शुद्ध भस्म एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होती है, जो त्वचा की रक्षा करने में सहायक है।
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