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आखिर क्यों मह्त्वपूर्ण है चीन निर्मित PL-15 का मलबा ? कई देश कर रहे हैं मलबे की मांग

नई दिल्ली 24 मई 2025 भारत में मिली चीन निर्मित PL-15 लॉन्ग रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान का यह एक बड़ा डिफेंस ब्रेकथ्रू है। भारत ने पाकिस्तान द्वारा भारत पर दागी गई चीनी PL-15 लॉन्ग रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल को इंटरसेप्ट कर लिया। ये मिसाइल अपने लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रही और भारत के सीमावर्ती राज्य पंजाब राज्य में सही-सलामत मिली है।

मिसाइल को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच की मांग

अब इस मिसाइल को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच की मांग बढ़ रही है। ताइवान, जो लगातार चीनी हमलों की जद में रहता है, ने भी PL-15 मिसाइल की जांच की इजाजत मांगी है। ताइवान के रक्षा अधिकारियों का मानना है कि इस मिसाइल के मलबे तक पहुंच से उन्हें जवाबी रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी।

200 से 300 किमी तक टारगेट को हिट करने में सक्षम

PL-15 मिसाइल चीन की सबसे एडवांस Beyond Visual एयर-टू-एयर मिसाइल मानी जाती है चीन ने इसको अपने स्टेल्थ फाइटर जेट J-20 और JF-17 या J-10C में एकीकृत किया है। यह मिसाइल 200 से 300 किमी तक टारगेट को हिट करने में सक्षम है और डबल-पल्स रॉकेट मोटर, ऑनबोर्ड डेटालिंक और अत्याधुनिक रडार सीकर जैसी तकनीकों से लैस है।

क्यों है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग?

भारत द्वारा इंटरसेप्ट की गई PL-15 मिसाइल लगभग बिना क्षतिग्रस्त हुई मिली है। इससे मिसाइल के रडार, नेविगेशन और प्रोपल्शन सिस्टम का विश्लेषण संभव हो सका है। ताइवान, फ्रांस, जापान, अमेरिका, और फाइव आईज गठबंधन (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड) जैसे देश भारत से इस मिसाइल के मलबे की मांग कर चुके हैं।

मिसाइल का मिलना दुर्लभ मौका

अमेरिकी खुफिया एजेंसियां जैसे CIA और NSA मानती हैं कि यह एक ऐसा दुर्लभ मौका है, जिससे चीन की मिसाइल क्षमताओं और तकनीक का गहराई से विश्लेषण किया जा सकता है।

कहां मिला मलबा?

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पंजाब के होशियारपुर जिले के कमाही देवी गांव सहित उत्तर भारत के विभिन्न स्थानों से इस मिसाइल के टुकड़े मिले हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये मलबा भविष्य की सुरक्षा नीति और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर स्ट्रैटेजी को आकार देने में मदद करेगा।

भारत की रणनीतिक बढ़त

PL-15 मिसाइल की तकनीकी जांच भारत को न केवल चीन की क्षमताओं को समझने में मदद करेगी, बल्कि पश्चिमी देशों के साथ मिलकर इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स (ECCM) विकसित करने का मौका भी प्रदान करेगी। यह तकनीक भविष्य में चीन की मिसाइलों को ट्रैक और न्यूट्रलाइज करने में सहायक हो सकती है।

Sunita Singh

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