भारतीय रुपये का हाल: 4 महीने में डॉलर के मुकाबले कितना टूटा? संसद में खुलासा

By Ankit Kumar

🕒 Published 6 months ago (8:11 AM)

भारतीय रुपये में बीते चार महीनों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 1 अक्टूबर 2024 से 30 जनवरी 2025 के बीच भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 3.3% कमजोर हुआ। हालांकि, अन्य प्रमुख एशियाई मुद्राओं की तुलना में रुपये की गिरावट कम रही। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को संसद में इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी।

डॉलर इंडेक्स में उछाल से वैश्विक मुद्राओं पर दबाव

इस दौरान अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में 7% की वृद्धि हुई, जिससे सभी प्रमुख एशियाई मुद्राओं ने डॉलर के मुकाबले गिरावट दर्ज की।

  • दक्षिण कोरियाई वॉन – 8.1% गिरा
  • इंडोनेशियाई रुपियाह – 6.9% गिरा
  • यूरो – 6.7% कमजोर
  • ब्रिटिश पाउंड – 7.2% कमजोर

रुपये पर क्यों पड़ा दबाव?

 

सरकार के मुताबिक, रुपये की कमजोरी के पीछे कई प्रमुख कारण रहे:

1. अमेरिका और भारत के बीच ब्याज दरों का अंतर – अमेरिका के 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड में 74 बेसिस पॉइंट की वृद्धि हुई, जबकि भारतीय बॉन्ड यील्ड स्थिर रही।

2. विदेशी पूंजी निकासी (FPI Outflow) – भारतीय बाजारों से करीब 20 अरब डॉलर की निकासी हुई।

3. व्यापार घाटा बढ़ा – नवंबर 2024 में 31.8 अरब डॉलर का व्यापार घाटा देखने को मिला।

4. अमेरिकी चुनावों को लेकर अनिश्चितता – वैश्विक निवेशकों ने अमेरिकी डॉलर को सुरक्षित निवेश मानते हुए अन्य मुद्राओं की तुलना में इसमें अधिक निवेश किया।

जन धन खातों का हाल

इसके अलावा, वित्त राज्य मंत्री ने संसद में बताया कि 22 जनवरी 2025 तक प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के 21.17% खाते निष्क्रिय हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि किसी खाते में लगातार दो वर्षों तक कोई लेन-देन नहीं होता, तो उसे निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है।

सरकार जन धन खातों को सक्रिय बनाए रखने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है और इस पर लगातार नजर रख रही है।

कर-जीडीपी अनुपात और वित्तीय सुधार

मंत्री ने बताया कि कर-जीडीपी अनुपात में कोविड-19 के बाद से सुधार हुआ है। हालांकि, इसमें उतार-चढ़ाव भी देखे गए हैं, जो बाहरी आर्थिक कारकों या सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों का नतीजा हो सकते हैं।

राजकोषीय घाटे पर सरकार की रणनीति

बजट 2024-25 के तहत सरकार ने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने और ऋण-जीडीपी अनुपात को संतुलित बनाए रखने के लिए ठोस रणनीति तैयार की है। इस दिशा में कई नीतिगत सुधारों की घोषणा की गई है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

भारतीय रुपये में हालिया गिरावट वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं और डॉलर इंडेक्स में मजबूती के कारण देखी गई। हालांकि, सरकार का मानना है कि अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना में रुपये की स्थिति बेहतर रही है। सरकार विदेशी पूंजी प्रवाह को स्थिर बनाए रखने, ब्याज दरों में संतुलन लाने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

आने वाले महीनों में रुपये की स्थिति कैसी रहेगी, यह वैश्विक बाजार की स्थिरता, अमेरिकी चुनावों के परिणाम और भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर निर्भर करेगा।

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