भारत-अमेरिका परमाणु समझौता: पीएम मोदी और ट्रंप की बैठक में बड़ा फैसला

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By Ankit Kumar

🕒 Published 6 months ago (7:42 AM)

भारत अब परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक नई क्रांति की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई वार्ता के बाद भारत में परमाणु रिएक्टरों की स्थापना को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। इस समझौते से भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा और देश को ऊर्जा के नए स्रोत मिलेंगे।

परमाणु ऊर्जा विस्तार के लिए भारत-अमेरिका की साझेदारी

वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते के बाद, अब इस क्षेत्र में सबसे बड़ी प्रगति होने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को परमाणु रिएक्टर निर्माण में सहयोग देने का वादा किया है। दोनों नेताओं ने यह संकल्प लिया कि भारत में परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिए अमेरिका अपनी तकनीकी और वैज्ञानिक विशेषज्ञता प्रदान करेगा।

 

भारत में अमेरिकी परमाणु रिएक्टरों की स्थापना

इस समझौते के तहत भारत में अमेरिकी डिजाइन के बड़े परमाणु रिएक्टर लगाए जाएंगे, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी। अब तक, 21वीं सदी में कोई भी नया अमेरिकी परमाणु रिएक्टर भारतीय भूमि पर नहीं लगाया गया था, लेकिन अब यह गतिरोध समाप्त होने जा रहा है। इस पहल के तहत भारत में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (Small Modular Reactors – SMRs) के निर्माण की भी योजना बनाई जा रही है, जिससे ऊर्जा उत्पादन लागत कम होगी और छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों को भी बिजली मिल सकेगी।

परमाणु ऊर्जा से भारत को क्या लाभ होगा?

1. ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि: परमाणु ऊर्जा भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्रदान करेगी और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी।

2. स्वच्छ ऊर्जा स्रोत: परमाणु ऊर्जा पर्यावरण के लिए अनुकूल है और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगी।

3. रोजगार के अवसर: परमाणु संयंत्रों के निर्माण से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

4. वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति: अमेरिका के सहयोग से भारत में नई परमाणु तकनीकों का विकास होगा, जिससे शोध और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

5. सस्ते और स्थिर बिजली आपूर्ति: परमाणु ऊर्जा उत्पादन की लागत कम होने से उपभोक्ताओं को किफायती दरों पर बिजली उपलब्ध होगी।

मोदी-ट्रंप वार्ता: व्यापार और रणनीतिक साझेदारी भी मजबूत

परमाणु ऊर्जा समझौते के अलावा, मोदी-ट्रंप वार्ता में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के विषय पर भी चर्चा हुई। दोनों देशों ने 2030 तक व्यापार को 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, बाजार पहुंच को बढ़ाने और शुल्क कम करने पर भी सहमति बनी है।

 

अमेरिका के लिए भारत क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, अमेरिका के लिए एक रणनीतिक साझेदार है। भारत की ऊर्जा जरूरतें तेजी से बढ़ रही हैं और अमेरिका इस अवसर का उपयोग भारत के साथ अपने आर्थिक और तकनीकी संबंधों को मजबूत करने के लिए कर रहा है।

परमाणु सहयोग से भारत के वैश्विक स्थान पर प्रभाव

इस परमाणु समझौते से भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी। भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी और यह देश को विश्व स्तर पर एक प्रमुख ऊर्जा शक्ति बना सकता है। साथ ही, यह समझौता भारत को उन देशों की श्रेणी में खड़ा करेगा जो बड़े पैमाने पर स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा का उत्पादन कर रहे हैं।

निष्कर्ष

भारत-अमेरिका परमाणु समझौता न केवल दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि यह भारत में ऊर्जा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। यह पहल भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले वर्षों में देश के औद्योगिक और आर्थिक विकास में बड़ा योगदान देगा।

भविष्य की संभावनाएं

1. भारत में SMR (Small Modular Reactors) की तैनाती: इससे भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में भी बिजली पहुंच सकेगी।

2. नवीनतम परमाणु प्रौद्योगिकियों का भारत में विकास: इससे भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को बल मिलेगा।

3. भारत-अमेरिका रक्षा और तकनीकी सहयोग में वृद्धि: इससे दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंध और मजबूत होंगे।

भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और देश को वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह समझौता एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।

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