🕒 Published 3 days ago (4:38 PM)
प्रयागराज महाकुंभ 2025 के दौरान 29 जनवरी मौनी अमावस्या पर 82 लोगों की जान गई थी। जबकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तो सिर्फ 37 मौतों की स्वीकारोक्ति की थी। सरकार ने ऐसा क्यों किया यह तो सरकार ही जाने लेकिन कुंभ में हुई मौतों पर बीबीसी की गहन जांच रिपोर्ट ने योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
भयावह त्रासदी को छिपाने की कोशिश क्यों ?
बीबीसी रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर हुआ कि कई मृतकों के घरवालों को चुपचाप नकद मुआवज़ा देकर मौतों को सरकारी कागजों में दर्ज ही नहीं किया गया ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि योगी सरकार ने इस भयावह त्रासदी को छिपाने की कोशिश क्यों की । बता दें कि कुंभ के इस आयोजन पर 7000 करोड़ खर्च किए गए थे।
10 करोड़ श्रद्धालु के लिए व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम नहीं
बता दें कि महाकुंभ का मेला हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक आस्था का आयोजन है । यह मेला प्रत्येक 12 साल में हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज, और नासिक में लगता है। 2025 में संगम नगरी प्रयागराज के संगम तट पर इस महाकुंभ का आयोजन किया गया। इस महाकुंभ की शुरूआत 13 जनवरी को हुई थी और समापन 26 फरवरी 2025 को शिवरात्रि पर हुआ था।
मौनी अमावस्या भगदड़
शास्त्रों की माने तो माघ महीने की मौनी अमावस्या को सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र दिन माना जाता है। यदि प्रशासन के आंकड़ों पर जाएं तो मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ लोग संगम पर स्नान के लिए पहुंचे थे। इतनी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की सूचना के बाद भी सरकार और प्रशासन द्वारा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम क्यों नही किए गए थे नहीं किए गए थे। संगम नोज़ के पास भगदड़ मची और लौटती भीड़ ने किनारे सो रहे श्रद्धालुओं को कुचल दिया।
सरकार का दावा: 37 मौतें, 25 लाख मुआवजा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 फरवरी को विधानसभा में कहा कि इस हादसे में कुल 37 लोगों की मौत हुई और 66 लोग इसकी चपेट में आए। सरकार ने कहा कि मारे गए लोगों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं हुई थी।
Prayagraj Kumbh Mela Stampede
इस हादसे के बाद बीबीसी की टीम की टीम ने 11 राज्यों और 50 से अधिक जिलों में जाकर 100 से अधिक परिवारों से बातचीत की। इसी जांच के आधार पर बीबीसी ने 82 मौतों की पुष्टि की । बीबीसी ने अपनी जांच में पाया कि मौनी अमावस्या के दिन कम से कम तीन अलग-अलग स्थानों पर भगदड़ की घटनाएं हुई थीं। मौतों का यह आंकड़ा केवल उन मामलों पर आधारित है जिनके पुख़्ता सबूत हैं जिसमें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण पत्र, शवों की तस्वीरें आदि।
BBC Report Kumbh Mela
बीबीसी की रिपोर्ट में बताया गया कि मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के शवगृह में 39 शवों की गिनती की थी, जबकि पुलिस सूत्रों ने भी लगभग 40 मौतों की बात कही। इसके बावजूद, सरकार ने आधिकारिक तौर पर केवल 37 मौतों की बात स्वीकारी।जांच में यह भी पाया कि 36 परिवारों को 25 लाख रुपये का आधिकारिक मुआवजा दिया गया। 26 परिवारों को चोरी से 5 लाख रुपये नकद देकर उनका मुंह बद कर दिया गया। इसके अलावा परिजनों की मौत के सबूत होने के बावजूद 19 परिवारों को तो किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली ।
जबरन दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर
रिपोर्ट में एक सनसनीखेज बात यह भी सामने आई है कि मृतकों के परिजनों से ऐसे कागजों पर हस्ताक्षर करवाए गए, जिनमें लिखा था कि मौत “अचानक तबीयत बिगड़ने” से हुई है। तो क्या यह तरीका मौतों को सरकारी आंकड़ों से गायब करने के लिए था जो एक विचारणीय विषय़ है।
बीबीसी ने इन 82 मौतों को तीन श्रेणियों में बांटा
- पहला सरकारी सूची में शामिल मृतक, जिनके परिवारों को 25 लाख मुआवजा मिला।
- दूसरे गोपनीय रूप से नकद मुआवजा पाने वाले परिवार, जिन्हें 5 लाख नकद दिए गए।
- तीसरे वो परिवार जिन्हें बिल्कुल नजरअंदाज किया गया। कोई मुआवजा नहीं मौत भी सरकारी आंकड़ों से बाहर कर दिया गया
उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया कि इस बार के महाकुंभ में 66 करोड़ लोग पहुंचे और आयोजन पर 7000 करोड़ रुपये खर्च किए गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “कुंभ के सफल आयोजन की गूंज दुनिया में लंबे समय तक सुनाई देगी।” लेकिन इस गूंज में 82 परिवारों की चीखें कहीं दब गईं। यह विचारणीय विषय है।