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बानू मुश्ताक को बनाया मैसूर दशहरा का मुख्य अतिथि, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

मैसूर/नई दिल्ली: कर्नाटक के विश्व प्रसिद्ध मैसूर दशहरा उत्सव को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस साल के दशहरा उद्घाटन समारोह में अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि बनाए जाने के कर्नाटक सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले की सुनवाई आज, 19 सितंबर 2025 को होने वाली है।

विवाद का कारण

कर्नाटक सरकार ने 22 सितंबर से शुरू हो रहे दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि चामुंडेश्वरी मंदिर में होने वाले पूजा और अनुष्ठान हिंदू परंपराओं का हिस्सा हैं, जिसमें दीप प्रज्वलन, हल्दी-कुमकुम, फल और फूल अर्पित किए जाते हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इन अनुष्ठानों को केवल हिंदू ही कर सकते हैं।

कुछ नेताओं और याचिकाकर्ताओं ने बानू मुश्ताक के अतीत में दिए गए बयान को हिंदू और कन्नड़ विरोधी बताया। उनका कहना है कि इस उत्सव की परंपरा वैदिक मंत्रोच्चार और देवी चामुंडेश्वरी को पुष्पांजलि देने की है, ऐसे में उनका चयन परंपरा के खिलाफ है।

कर्नाटक सरकार का पक्ष

कर्नाटक सरकार ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि मैसूर दशहरा कोई निजी धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि राज्य का सार्वजनिक आयोजन है। सरकार का कहना है कि किसी भी धर्म के व्यक्ति को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने में कोई समस्या नहीं है। सरकार ने यह भी बताया कि बानू मुश्ताक लेखिका, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं और उन्हें पहले भी सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जा चुका है।

हाई कोर्ट ने पहले खारिज की याचिकाएं

15 सितंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट ने चार जनहित याचिकाएं खारिज कर दी थीं, जिनमें से एक प्रताप सिम्हा ने दायर की थी। हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी संवैधानिक या कानूनी उल्लंघन को साबित करने में असफल रहे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी अन्य धर्म के व्यक्ति का इस आयोजन में शामिल होना संविधान का उल्लंघन नहीं करता और धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाता।

सुप्रीम कोर्ट में अपील

हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता एचएस गौरव ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। याचिका में हाई कोर्ट के तर्क को चुनौती दी गई है, जिसमें मुश्ताक को मुख्य अतिथि बनाने को सही ठहराया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि चामुंडेश्वरी मंदिर में होने वाले अनुष्ठान संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित हैं और इन्हें गैर-हिंदू नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की अध्यक्षता में, मामले की तुरंत सुनवाई कर रही है क्योंकि उत्सव 22 सितंबर से शुरू होने वाला है।

मैसूर दशहरा की परंपरा

मैसूर दशहरा, जिसे नाडा हब्बा के नाम से भी जाना जाता है, कर्नाटक का एक प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव है। यह 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ समाप्त होता है। परंपरागत रूप से यह उत्सव चामुंडेश्वरी मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार और देवी की मूर्ति पर पुष्पवर्षा के साथ शुरू होता है।

सरकार इसे समावेशी और संवैधानिक बता रही है, वहीं याचिकाकर्ता इसे धार्मिक परंपरा का उल्लंघन मान रहे हैं। इस मामले ने धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है।

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