🕒 Published 4 months ago (6:26 AM)
उत्तर प्रदेश की सियासत में लंबे समय से सक्रिय और विवादों में घिरे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पहले से ही जेल में बंद आजम खान के लिए अब इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई नई परेशानी बनकर सामने आई है।
इनकम टैक्स विभाग की बड़ी तैयारी
करीब डेढ़ साल पहले आयकर विभाग ने आजम खान और उनके ट्रस्ट से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस जांच के दौरान कुछ अहम जानकारियां सामने आईं, जिसमें जौहर ट्रस्ट द्वारा किए गए निवेश को लेकर संदेह पैदा हुआ।
आयकर विभाग के अनुसार, रामपुर स्थित जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में जो धनराशि खर्च की गई, उसमें से अधिकांश का कोई स्पष्ट स्रोत नहीं है। विभाग का कहना है कि कुल निर्माण लागत करीब ₹450 करोड़ आंकी गई थी, लेकिन ट्रस्ट के बैंक खातों में सिर्फ ₹100 करोड़ की ही जानकारी दर्ज थी। ऐसे में लगभग ₹350 करोड़ की राशि को ‘बेनामी निवेश’ माना गया है।

केंद्रीय एजेंसियों की निगरानी
जांच के दौरान आयकर विभाग ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) से विश्वविद्यालय की लागत का मूल्यांकन करवाया था। रिपोर्ट सामने आने के बाद यह निष्कर्ष निकला गया कि ट्रस्ट की ओर से दी गई जानकारी में भारी अंतर है। इसी आधार पर विभाग अब जौहर ट्रस्ट से ₹550 करोड़ की वसूली करने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है।
जेल में बंद हैं आजम खान
गौरतलब है कि आजम खान अक्टूबर 2023 से हरदोई जेल में बंद हैं। उनके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं, जिनमें ज़मीन हड़पने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। यही नहीं, ट्रस्ट में उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और कई अन्य परिजन भी जुड़े हुए हैं, जिनके नाम इन आरोपों में सामने आए हैं।
पुरानी सियासी पृष्ठभूमि
जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना उस वक्त हुई थी जब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। यह परियोजना आजम खान का ड्रीम प्रोजेक्ट मानी जाती रही है, लेकिन अब यही परियोजना उनके राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन की सबसे बड़ी मुश्किल बनती दिख रही है।
आजम खान के खिलाफ आयकर विभाग की यह कार्रवाई केवल एक व्यक्ति या संस्था पर सवाल नहीं उठाती, बल्कि यह बताती है कि जब सत्ता और संस्था का तालमेल पारदर्शिता से दूर हो जाए, तो नतीजे कितने गंभीर हो सकते हैं।
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