Rape in Temple
Rape in Temple: आगरा के बिचपुरी इलाके में एक पांच साल की बच्ची से मंदिर के अंदर रेप की कोशिश का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह घटना 18 मई को हुई थी, लेकिन इसका सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद ही हंगामा मचा और पुलिस ने कार्रवाई की। बच्ची की मां, जिनका नाम खबर में नीलम बताया गया है, ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने पहले आरोपी को पकड़ा था, लेकिन फिर छोड़ दिया।
नीलम के मुताबिक, गर्मी की छुट्टी होने के कारण कॉलोनी के बच्चे अक्सर सुबह मंदिर में खेलने जाते हैं। 18 मई को रविवार था और उनकी बच्ची मंदिर के पास खेल रही थी। तभी पड़ोस में रहने वाला 20 वर्षीय पवित्र पूजा करने आया। नीलम बताती हैं, “उसने देखा कि आसपास कोई नहीं है। बच्ची को पकड़ा और मंदिर के अंदर ले गया। उससे रेप की कोशिश की। तभी मंदिर की देखभाल करने वाली दीदी आ गईं। उन्हें देखकर वो भाग गया।”
मंदिर की दीदी ने एक बच्चे को नीलम के घर भेजा, जिसके बाद बच्ची की सास मंदिर गईं और उसे घर ले आईं। बच्ची उस समय बहुत घबराई हुई थी।
नीलम ने बताया कि मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकलवाने पर यह साफ दिख रहा था कि पवित्र ने बच्ची से रेप की कोशिश की थी, लेकिन उसके कपड़े नहीं उतारे थे, यानी रेप नहीं हुआ था। वीडियो देखने के बाद नीलम और उनकी सास पवित्र के घर गईं, लेकिन नीलम का आरोप है कि पवित्र के बड़े भाई शिवम ने उसे छत पर छिपा दिया।
पुलिस को 112 नंबर पर कॉल करने के बाद पुलिस पहुंची और पवित्र को ले गई। नीलम का आरोप है कि पुलिस ने उसे एक घंटे बाद बिचपुरी चौकी बुलाया, जहां पवित्र के घरवालों ने माफी मांगी और कॉलोनी के कुछ लोगों के दबाव में राजीनामा करने को कहा। कॉलोनी वाले पवित्र का पक्ष ले रहे थे और उनके दबाव में नीलम ने राजीनामा कर लिया।
नीलम बताती हैं कि 18 मई को राजीनामे के बाद रात में उनकी सास ने पवित्र के पापा को यह कहते सुना कि बच्ची का सिर्फ हाथ पकड़ा था और ये लोग बदनाम कर रहे हैं। अगले दिन सुबह जब सास ने यह बात बताई तो वे पवित्र के घर बात करने गईं, जहां शिवम ने हाथ उठा दिया और ईंट-पत्थर चलाने लगा। हाथापाई के बाद मोहल्ले वालों ने बीच-बचाव किया।
इसके बाद पवित्र का भाई और मां घर आकर माफी मांगने लगे, लेकिन इस बार नीलम ने समझौते से इनकार कर दिया और FIR कराने थाने गईं। वहां भी पवित्र के रिश्तेदार पहुंच गए और समझौता लिखने को कहा। नीलम ने शर्त रखी कि पवित्र का परिवार मोहल्ले में नहीं रहेगा, जिस पर वे भड़क गए। इसके बाद नीलम ने राजीनामा नहीं कराया और FIR दर्ज करा दी। नीलम ने यह भी आरोप लगाया कि FIR होने के बाद पवित्र के मामा, भाई और दूसरे रिश्तेदारों ने उनके पति से मारपीट की।
नीलम के मुताबिक, उनकी बेटी ने बताया है कि 15 दिन पहले भी पवित्र ने मंदिर में ही उसका हाथ पकड़ लिया था, लेकिन लोगों के आने पर छोड़ दिया था। नीलम ने पुलिस पर 19 मई की रात पवित्र को छोड़ने का भी आरोप लगाया, जिसे पुलिस ने खारिज कर दिया।
आरोपी पवित्र के भाई शिवम ने ऑफ कैमरा बात करते हुए दावा किया कि पवित्र की दिमागी हालत ठीक नहीं है और उसका इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि पवित्र को अच्छा-बुरा नहीं पता और वह अपना नाम भी ठीक से नहीं बता पाता।
पुलिस चौकी इंचार्ज भानु प्रताप सिंह ने कॉल पर बताया कि पुलिस के सामने पहले दिन कोई राजीनामा नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि पुलिस राजीनामा नहीं कराती है, दोनों पक्ष सिविल कोर्ट जाकर राजीनामा करते हैं। भानु प्रताप ने बताया कि पवित्र को 19 मई को हिरासत में लिया गया था, मेडिकल कराया गया और फिर कोर्ट में बयान हुए। 27 मई को उसे पॉक्सो और रेप की कोशिश की धाराओं में गिरफ्तार किया गया था और वह तब से जेल में ही था। उन्होंने पुष्टि की कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन केस रेप की कोशिश का है, जिसमें रेप के बराबर ही सजा का प्रावधान है।
पवित्र की मानसिक स्थिति पर भानु प्रताप ने कहा कि देखने में उसकी हालत सही नहीं लग रही थी, लेकिन घरवालों ने इलाज के कोई कागज नहीं दिखाए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील सुशील टेकरीवाल ने बताया कि अगर रेप केस में आरोपी विक्षिप्त साबित हो जाए तो उसे सजा नहीं होती, जैसा कि 2016 के दिल्ली हाईकोर्ट के एक मामले में हुआ था।
घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने पर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने नाराजगी जताई है। चौकी इंचार्ज भानु प्रताप ने बताया कि कोर्ट ने आदेश दिया है कि वीडियो वायरल करने वाले के खिलाफ IT एक्ट में केस दर्ज किया जाए। इस मामले की जांच साइबर सेल से जानकारी मिलने के बाद थाना प्रभारी राम सिंह तोमर करेंगे, और चार्जशीट बनने के बाद मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में जाएगा।
28 मई को उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान पीड़ित परिवार से मिली थीं। उन्होंने कहा कि बच्ची की मां ने बताया कि आरोपी लड़का मानसिक तौर पर विक्षिप्त है और उस पर समझौते का दबाव था। उन्होंने कहा, “मैंने और पुलिस ने समझाया कि हम आपके साथ हैं, तब लड़की की मां केस में आगे बढ़ी।” बबीता चौहान ने एक विवादित बयान भी दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर बच्ची के घरवाले आस-पड़ोस का ध्यान रखते तो ऐसी घटनाएं रुक सकती हैं। उन्होंने कहा, “पेरेंट्स ध्यान दें कि हमारा बच्चा कहां खेल रहा है, किसके साथ है, तो ऐसी घटनाएं रुक सकती हैं। आरोपी गली में ही रहता था, तो लड़की के घरवाले पहले से जानते ही होंगे। इसके बाद हम थोड़ा सचेत हो सकते थे। दूसरे को हम सुधार नहीं सकते, तो खुद को तो बचा सकते हैं।”
यह घटना समाज में बच्चों की सुरक्षा, पुलिस की शुरुआती कार्रवाई और सामाजिक दबाव में न्याय की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
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