🕒 Published 4 months ago (6:06 AM)
देश के हाई कोर्टों में 2018 से 2022 के बीच कुल 540 जजों की नियुक्ति की गई। इनमें से 15 अनुसूचित जाति (SC), 7 अनुसूचित जनजाति (ST), 57 अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), और 27 अल्पसंख्यक समुदाय से थे। यह जानकारी सरकार ने लोकसभा में पेश की, जिसमें जजों की सामाजिक पृष्ठभूमि को लेकर विस्तृत आंकड़े शामिल थे।
हाई कोर्ट में नियुक्तियों की स्थिति
विधि मंत्रालय के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच हाई कोर्ट में 540 जज नियुक्त हुए, जिनमें से मात्र चार प्रतिशत जज SC और ST वर्ग से और करीब 11 प्रतिशत OBC वर्ग से थे। सरकार ने संसद में बताया कि जजों की नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि की जानकारी देना आवश्यक होता है, ताकि न्यायपालिका में सामाजिक संतुलन बना रहे।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में नियुक्तियों की संख्या
सरकार ने जानकारी दी कि 2014 से अब तक सुप्रीम कोर्ट में 69 और हाई कोर्टों में 1173 जजों की नियुक्ति की गई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति में किसी भी जाति या वर्ग के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। यह नियुक्तियां संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत की जाती हैं।

न्यायपालिका में सामाजिक विविधता पर सरकार की प्रतिबद्धता
सरकार ने कहा है कि न्यायपालिका में सामाजिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस सिलसिले में हाई कोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों को निर्देश दिया गया है कि वे जजों की नियुक्ति का प्रस्ताव भेजते समय SC, ST, OBC, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर विशेष ध्यान दें।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों पर आधारित होती है। नियुक्ति प्रक्रिया की पहल मुख्य रूप से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और संबंधित हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की भूमिका
सरकार के लिखित जवाब में यह भी स्पष्ट किया गया कि जजों की नियुक्ति की अंतिम सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के माध्यम से की जाती है। इसका मतलब यह है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केवल उन्हीं नामों को मंजूरी दी जाती है, जो कॉलेजियम द्वारा चुने गए होते हैं।
सरकार ने यह भी कहा कि न्यायपालिका में सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए भविष्य में और अधिक प्रयास किए जाएंगे, जिससे देश के सभी वर्गों को न्यायपालिका में समान अवसर मिल सके।
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