Ankita Bhandari Murder Case
Ankita Bhandari Murder Case: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार न्याय की गूंज सुनाई दी। पौड़ी गढ़वाल की अपर जिला एवं सत्र न्यायालय, कोटद्वार ने शुक्रवार को इस मामले में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, और उसके दो सहयोगी सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। न्यायालय ने इस हत्याकांड को “गंभीरतम अपराध” मानते हुए तीनों दोषियों को कठोर सजा के साथ अर्थदंड भी लगाया।
जज रीना नेगी ने तीनों को धारा 302 (हत्या), धारा 201 (साक्ष्य मिटाना) और अनैतिक देह व्यापार के लिए दबाव डालने जैसे गंभीर अपराधों में दोषी ठहराया। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य को इसके अतिरिक्त छेड़छाड़ (धारा 354-K) का भी दोषी माना गया। सजा सुनाए जाने के बाद तीनों दोषियों को कोर्ट से सीधे जेल भेज दिया गया।
धारा 302 (हत्या) – आजीवन कठोर कारावास और ₹50,000 का जुर्माना
धारा 201 (साक्ष्य मिटाना) – 5 साल कठोर कारावास और ₹10,000 का जुर्माना
धारा 354-क (छेड़छाड़) – 5 साल कठोर कारावास और ₹10,000 का जुर्माना
धारा 5(1)(घ), अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम – 5 साल कठोर कारावास और ₹2,000 का जुर्माना
इन सभी सजाओं को एकसाथ चलने का आदेश दिया गया है।
इस हत्याकांड के बाद उत्तराखंड पुलिस ने विशेष जांच दल (SIT) गठित की थी। टीम ने 500 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की जिसमें 97 गवाहों को शामिल किया गया। 47 गवाहों ने ट्रायल के दौरान कोर्ट में प्रत्यक्ष गवाही दी। मोबाइल लोकेशन डेटा, घटनास्थल की स्थिति और दस्तावेजी साक्ष्य इस मामले में निर्णायक साबित हुए।
यह घटना 18 सितंबर 2022 की है, जब 19 वर्षीय अंकिता भंडारी, जो पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक स्थित वनंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर काम करती थी, लापता हो गई थी। रिसॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य, जो एक पूर्व राज्य मंत्री का बेटा है, उस पर और उसके दो कर्मचारियों ने अंकिता पर ‘वीआईपी मेहमानों’ को स्पेशल सर्विस देने का दबाव डाला था। जब अंकिता ने इसका विरोध किया, तो पुलकित और उसके सहयोगी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता उसे ऋषिकेश के चीला शक्ति नहर ले गए और कुनाउ पुल से धक्का देकर उसकी हत्या कर दी।
घटना के पांच दिन बाद, 24 सितंबर को अंकिता का शव नहर से बरामद हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण डूबना बताया गया, लेकिन शरीर पर चोट के कई निशान भी थे।
तीनों आरोपी घटना के कुछ ही दिन बाद यानी 22 सितंबर 2022 को गिरफ्तार किए गए थे और तब से जेल में बंद थे। उनके द्वारा की गई जमानत याचिकाएं जिला कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक खारिज हो गई थीं।
सुनवाई वाले दिन कोर्ट परिसर और आसपास के क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। आम नागरिकों के प्रवेश पर रोक थी और मीडिया को भी सीमित दायरे में रहने के निर्देश दिए गए थे।
इस ऐतिहासिक फैसले ने अंकिता के परिवार को एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद राहत दी है। हालांकि, अंकिता की असमय मृत्यु से जो खालीपन बना है, उसे भरना नामुमकिन है, लेकिन यह सजा समाज को यह संदेश जरूर देती है कि अन्याय करने वालों को कानून बख्शता नहीं।
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