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ममता के विरोध के बीच पश्चिम बंगाल में SIR की पूरी तैयारी, आज से ट्रेनिंग शुरू

बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद अब चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल में भी यह प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लंबे समय से इस पर सवाल उठाती रही हैं और आरोप लगाती हैं कि जानबूझकर लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।

चुनाव आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंगलवार से राज्य में चुनाव अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) मनोज अग्रवाल, अतिरिक्त CEO दिव्येंदु दास और अरिंदम नियोगी इस ट्रेनिंग सत्र का नेतृत्व करेंगे। इसका मकसद बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLO) को SIR प्रक्रिया को सही और सहज तरीके से कराने के लिए तैयार करना है।

BLO मतदाताओं को फॉर्म भरने में भी मदद करेंगे

आने वाले दिनों में सहायक जिला मजिस्ट्रेट (ADM) और निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ERO) को भी ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद यही अधिकारी BLO को प्रशिक्षित करेंगे, जो घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी की जांच करेंगे और जरूरी दस्तावेजों की पुष्टि करेंगे। BLO मतदाताओं को फॉर्म भरने में भी मदद करेंगे।

जिला स्तर पर होगी वोटर मैपिंग

अधिकारी ने बताया कि इस हफ्ते के अंत में डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश भारती कोलकाता का दौरा करेंगे और तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इस बीच ADM के साथ हुई एक बैठक में अधिकारियों को जिला स्तर पर वोटर मैपिंग शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें खास तौर पर 2002 की मतदाता सूची की तुलना जनवरी 2025 में प्रकाशित होने वाली नई लिस्ट से की जाएगी। अधिकारी ने कहा, “2002 में पंजीकृत मतदाताओं का क्रॉस-वेरिफिकेशन करने से मुश्किलें कम होंगी, खासकर बुजुर्ग वोटरों के लिए, जिन्हें अपनी पात्रता साबित करने में दिक्कत हो सकती है।”

2002 की वोटर लिस्ट बनेगी आधार

चुनाव आयोग ने इस साल जुलाई में 2002 की SIR मतदाता सूची प्रकाशित की थी। इसके बाद यह लगभग तय था कि जल्द ही नया पुनरीक्षण शुरू होगा। आयोग ने कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर, मालदा, नादिया, हावड़ा, हुगली, पश्चिम मिदनापुर और बांकुरा जिलों की 100 से अधिक विधानसभा सीटों की 2002 की वोटर लिस्ट वेबसाइट पर उपलब्ध कराई थी।

हालांकि, बीरभूम जिले के मुरारई, रामपुरहाट और राजनगर तथा दक्षिण 24 परगना जिले के कुलपी विधानसभा क्षेत्र की सूचियां उस समय जारी नहीं की गई थीं। पश्चिम बंगाल में पिछली बार SIR प्रक्रिया 2002 में हुई थी और वही पुरानी लिस्ट अब नए पुनरीक्षण की नींव बनेगी।

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