अमेरिका का सख्त रुख: ट्रम्प ने भारत के टैरिफ नियमों पर साधा निशाना

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By Ankit Kumar

🕒 Published 6 months ago (6:59 AM)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक नई टैरिफ नीति की घोषणा की, जिसे “जैसे को तैसा टैरिफ” (रेसिप्रोकल टैरिफ) कहा जा रहा है। इस नीति के तहत, अमेरिका उन सभी देशों पर उतना ही टैरिफ लगाएगा, जितना वे अमेरिकी उत्पादों पर लगाते हैं। इस नीति का सीधा प्रभाव वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा, विशेष रूप से भारत जैसे देशों पर, जो अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाते हैं।

रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है? रेसिप्रोकल टैरिफ एक व्यापारिक नीति है जिसमें किसी देश द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में समान कर लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करना और अमेरिकी कंपनियों को लाभ पहुंचाना है। ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि इस नीति से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और अन्य देशों को अमेरिकी बाजारों के प्रति निष्पक्ष होना पड़ेगा।

 

ट्रम्प का भारत पर आरोप ट्रम्प ने प्रेस ब्रीफिंग में भारत पर अत्यधिक टैरिफ लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने हार्ले डेविडसन का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में उच्च करों के कारण इस कंपनी को अपने संचालन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ अत्यधिक है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है। ट्रम्प के अनुसार, भारत जैसे देशों द्वारा लगाए गए टैरिफ से अमेरिकी व्यापार को नुकसान पहुंच रहा है और इसे रोकने के लिए समान टैरिफ नीति अपनाई जानी चाहिए।

अमेरिकी टैरिफ नीति के पीछे का उद्देश्य

1. अमेरिकी कंपनियों की सुरक्षा: ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि उच्च टैरिफ नीति से अमेरिकी कंपनियों को मजबूती मिलेगी और वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगी।

2. राजस्व में वृद्धि: अधिक टैरिफ लगाने से अमेरिकी सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा, जिससे अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलेगा।

3. निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करना: ट्रम्प का दावा है कि कई देश अमेरिकी उत्पादों पर अधिक टैरिफ लगाते हैं, जबकि अमेरिका उनके उत्पादों पर कम कर लगाता है। इस असमानता को दूर करने के लिए यह नीति लागू की जा रही है।

भारत पर इसका संभावित प्रभाव

1. भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौती: अगर अमेरिका भारत पर उच्च टैरिफ लगाता है, तो भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी मांग में कमी आ सकती है।

2. व्यापार घाटे में वृद्धि: अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अगर टैरिफ बढ़ा, तो भारत को व्यापार घाटे का सामना करना पड़ सकता है।

3. कृषि उत्पादों पर असर: अमेरिका, भारत से बड़ी मात्रा में कृषि उत्पाद खरीदता है। उच्च टैरिफ के कारण भारतीय कृषि उत्पाद महंगे हो सकते हैं, जिससे निर्यात प्रभावित हो सकता है।

4. आईटी और सेवा क्षेत्र: अमेरिका, भारतीय आईटी और सेवा कंपनियों का बड़ा ग्राहक है। टैरिफ नीति का प्रभाव इस क्षेत्र पर भी पड़ सकता है।

भारत की टैरिफ नीति: एक ऐतिहासिक दृष्टि भारत पारंपरिक रूप से एक उच्च टैरिफ नीति अपनाता रहा है। 1990 के दशक में भारत में औसत टैरिफ 125% तक था, जिसे आर्थिक सुधारों के बाद धीरे-धीरे कम किया गया। 2024 में भारत का औसत टैरिफ रेट 11.66% था, जिसे 2025 में घटाकर 10.65% कर दिया गया है। हालांकि, अमेरिका के अनुसार यह दर अभी भी अधिक है।

अमेरिकी नीति का वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

 

1. व्यापारिक तनाव में वृद्धि: यह नीति वैश्विक व्यापारिक तनाव को बढ़ा सकती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अस्थिरता आ सकती है।

2. अन्य देशों की प्रतिक्रिया: अन्य देश भी अमेरिका पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं, जिससे एक व्यापारिक युद्ध की स्थिति बन सकती है।

3. निवेश प्रवाह में बाधा: उच्च टैरिफ से अंतर्राष्ट्रीय निवेश प्रभावित हो सकता है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है।

क्या यह नीति अमेरिका के लिए फायदेमंद होगी? इस नीति के कुछ सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।

सकारात्मक प्रभाव

  • अमेरिकी कंपनियों को घरेलू बाजार में अधिक सुरक्षा मिलेगी।
  • सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी।
  • विदेशी कंपनियों को अमेरिका में निवेश के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

नकारात्मक प्रभाव

  • अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगे उत्पाद खरीदने पड़ सकते हैं।
  • अन्य देश भी अमेरिका पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं, जिससे अमेरिकी उत्पाद महंगे हो सकते हैं।
  • वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ सकती है।

भारत को क्या कदम उठाने चाहिए?

1. टैरिफ नीति की समीक्षा: भारत को अपनी टैरिफ नीति की समीक्षा करनी चाहिए और अमेरिका के साथ व्यापारिक संतुलन बनाए रखने के उपाय करने चाहिए।

2. नए व्यापारिक समझौते: भारत को अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौतों पर ध्यान देना चाहिए, जिससे दोनों देशों को लाभ हो।

3. नए बाजारों की खोज: अगर अमेरिका पर टैरिफ बढ़ता है, तो भारत को अन्य बाजारों की तलाश करनी चाहिए ताकि व्यापारिक घाटा कम किया जा सके।

ट्रम्प की नई टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। भारत जैसे देशों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकती है, लेकिन यह एक अवसर भी हो सकता है कि भारत अपनी व्यापारिक रणनीति को नए सिरे से तैयार करे। यह नीति अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन भारत को सूझबूझ से अपने आर्थिक हितों की रक्षा करनी होगी।

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