सर्वदलीय बैठक से AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को न बुलाए जाने पर विवाद, PM मोदी से की अपील

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By Rita Sharma

🕒 Published 2 months ago (11:56 AM)

नई दिल्ली, 24 अप्रैल — पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद केंद्र सरकार ने आज एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह हमले से जुड़ी अहम जानकारियां साझा करेंगे। बैठक की अध्यक्षता स्वयं रक्षा मंत्री करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य सभी दलों को एक मंच पर लाकर आतंकी हमले पर चर्चा करना और एकजुटता का संदेश देना है।

हालांकि, इस बैठक को लेकर विवाद तब शुरू हो गया जब AIMIM नेता और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया। ओवैसी ने इस पर नाराजगी जताते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से फोन पर बात की। बातचीत के दौरान रिजिजू ने स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं दलों को बुलाया गया है जिनके पास संसद में 5 या 10 से ज्यादा सांसद हैं। जब ओवैसी ने इस निर्णय पर सवाल उठाया, तो रिजिजू ने कहा कि सभी दलों को बुलाने से बैठक बहुत लंबी हो जाएगी। उन्होंने मजाक में यह भी कहा कि, “आपकी आवाज़ तो वैसे भी बहुत तेज़ है।”

ओवैसी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा, “यह बैठक किसी एक पार्टी की नहीं, बल्कि राष्ट्रीय महत्व की है। इसमें हर उस सांसद को शामिल किया जाना चाहिए जिसे भारत की जनता ने चुना है, चाहे वह एक हो या सौ।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि सभी दलों की बात सुनने के लिए वह एक अतिरिक्त घंटे का समय दे सकते हैं।

बाद में ओवैसी ने बताया कि उन्हें गृह मंत्री अमित शाह का फोन आया और अब वह दिल्ली में होने वाली इस बैठक में शामिल होंगे।

क्यों होती है सर्वदलीय बैठक?

जब देश की सुरक्षा से जुड़ा कोई गंभीर खतरा सामने आता है, तो सरकार सभी राजनीतिक दलों को एकत्र कर उनसे चर्चा करती है। यह परंपरा पहले भी देखी गई है — 2019 के पुलवामा हमले और 2020 में भारत-चीन तनाव के समय ऐसी बैठकें हुई थीं। इन बैठकों का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता प्रदर्शित करना, सरकार को विपक्ष की राय सुनना और सभी दलों को समाधान पर एक साथ लाना होता है।

भारत का कड़ा रुख

हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में कुछ अहम निर्णय लिए गए हैं, जिनमें पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों में कटौती, सिंधु जल संधि को स्थगित करना, और अटारी बॉर्डर पोस्ट को बंद करना शामिल है। इस हमले में 28 लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। सरकार ने सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश भी दिया है।

ओवैसी ने अंत में कहा कि यह समय राजनीतिक मतभेदों को छोड़कर एकजुट होने का है, ताकि आतंकवाद के खिलाफ भारत की ताकत दिखाई दे सके।

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