🕒 Published 1 month ago (7:56 AM)
Algal Bloom से दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के समुद्री तट पर 200 से ज़्यादा समुद्री जीवों की मौत हो चुकी है। इस त्रासदीपूर्ण प्राकृतिक घटना से समुद्री जीवों के जीवन पर संकट गहरा गया है।विशेषज्ञों का मानना है कि इस त्रासदी की मुख्य वजह शैवाल यानि की (Algal Bloom) है। समुद्र में शैवालों की की बढ़ती संख्या और समुद्री जीवों की हो रही मौत समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine Ecosystem) के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
शैवालों से समुद्र के पानी का रंग बदला
बढ़ते-बढ़ते शैवालों की यह संख्या इतनी अधिक हो गई कि मार्च 2025 से अब यह लगभग 4,500 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैल चुकी है। शैवाल की इस वृद्धि के कारण समुद्र के पानी का रंग बदल गया है और कई तटीय इलाकों में झाग जैसे दृश्य देखे जा रहे हैं।
शैवालों की बढ़ती संख्या से समुद्री जीवन प्रभावित
वन्यजीव वैज्ञानिक इसे एक “असाधारण और चिंताजनक घटना बता रहें हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि शैवालों की बढ़ती संख्या समुद्री जीवन को प्रभावित कर रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये शैवाल एक प्रकार का ज़हर उत्पन्न करते हैं, जो समुद्र के भीतर ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है और जीवों का दम घोंट देता है। इसे वैज्ञानिकों ने ‘एक जहरीली चादर’ (Toxic Blanket) की संज्ञा दी है।
शैवाल मानव के लिए प्रत्यक्ष रूप से खतरनाक नहीं
मारे गए समुद्री जीवों में शिशु मछलियाँ, समुद्री घोंघे, केकड़े, डॉल्फिन, और यहां तक कि सफेद शार्क भी शामिल हैं। हालाँकि यह शैवाल मानव स्वास्थ्य के लिए प्रत्यक्ष रूप से खतरनाक नहीं माने जाते, फिर भी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इनके संपर्क में आने पर त्वचा में जलन, खाँसी और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
स्थानीय प्रशासन की लोगों को चेतावनी
स्थानीय प्रशासन और समुद्री सुरक्षा एजेंसियों ने जनता से अपील की है कि वे उन समुद्र तटों से दूर रहें जहाँ पानी का रंग बदल गया है या जहाँ अधिक मात्रा में झाग दिखाई दे रहा है।
क्या है Algal Bloom ?
Algal Bloom वह स्थिति है जब समुद्र में शैवाल की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ जाती है। यह आमतौर पर गर्म तापमान और समुद्र में मौजूद अतिरिक्त पोषक तत्वों (जैसे नाइट्रोजन व फॉस्फोरस) के कारण होता है। इससे समुद्र का रंग बदल जाता है और यह ऑक्सीजन की भारी कमी पैदा कर देता है।
शैवाल वृद्धि की निगरानी
समुद्री जीवों की मौत के बात वैज्ञानिक सैटेलाइट इमेजरी और समुद्री सेंसर की मदद से इस शैवाल संख्या में बढ़ौतरी की निगरानी कर रहे हैं। पानी के सैंपल की जांच के आधार पर आने वाले हफ्तों में और अधिक प्रभावों का अंदेशा जताया जा रहा है।
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