पंजाब-हरियाणा जल विवाद पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: “दुश्मन देश से जैसा व्यवहार, वैसा एक-दूसरे से नहीं होना चाहिए”

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By Rita Sharma

🕒 Published 1 month ago (3:52 PM)

चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा के बीच बढ़ते जल विवाद ने अब गंभीर रूप ले लिया है और मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। मंगलवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि देश जब पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश के खिलाफ कड़ा कदम उठाने की सोच रहा है, तब आपसी राज्यों को एक-दूसरे के खिलाफ ऐसा रवैया नहीं अपनाना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने सुनवाई के दौरान कहा, “हम अपने दुश्मन देश के साथ ऐसा कर रहे हैं। हमें आपस में ही ऐसा नहीं करना चाहिए।” यह टिप्पणी उन घटनाओं के बाद आई जब पंजाब ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी छोड़ने के आदेश के बाद नांगल बांध पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया था।

बी.बी.एम.बी. पहुंचा हाईकोर्ट

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए इस स्थिति को लेकर चिंता जताई। वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गर्ग ने अदालत को बताया कि पंजाब में डैम ओवरफ्लो होने की कगार पर है, जबकि हरियाणा और अन्य निचले राज्यों में सूखे जैसे हालात बन सकते हैं।

बीबीएमबी ने यह आरोप भी लगाया कि आम आदमी पार्टी सरकार ने डैम पर अपने कार्यकर्ताओं को भी तैनात कर दिया है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।

पंजाब का जवाब – “कानून-व्यवस्था राज्य का अधिकार”

इस पर पंजाब सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि कानून और व्यवस्था राज्य का विशेषाधिकार है, और BBMB यह तय नहीं कर सकता कि राज्य की पुलिस कैसे काम करे। पंजाब ने यह भी आरोप लगाया कि बीबीएमबी ऐसे समय में अवैध प्रस्ताव लागू करने की कोशिश कर रहा है जब देश की सीमाओं पर भी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।

“अगर हिमाचल पानी रोक दे तो क्या होगा?” – बीबीएमबी

बीबीएमबी ने एक अहम सवाल उठाते हुए कहा कि अगर हिमाचल प्रदेश भी इसी तरह भाखड़ा डैम को लेकर दावा कर दे और पानी छोड़ने से मना कर दे, तो पंजाब की क्या स्थिति होगी? यह विवाद नांगल डैम से जुड़ा है जो पंजाब में आता है, लेकिन इसके प्रभाव हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों पर भी पड़ते हैं।

केंद्र सरकार की तीखी प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार ने भी पंजाब की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह कदम “अच्छी भावना से नहीं उठाया गया” और इसे कानूनी तौर पर चुनौती दी जानी चाहिए। केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया कि पानी का प्रवाह केवल हरियाणा के लिए नहीं बल्कि राजस्थान जैसे अन्य राज्यों के लिए भी जरूरी है।

 

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