🕒 Published 4 months ago (12:31 AM)
Jammu & Kashmir श्रीनगर : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के तीन दिवसीय जम्मू-कश्मीर दौरे के बीच घाटी में अलगाववादी आंदोलन को एक बड़ा झटका लगा है। सोमवार को तीन प्रमुख अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़ते हुए भारत के संविधान के प्रति निष्ठा जताई है। इस घटनाक्रम पर लखनऊ से शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और खुशी जताई है। उन्होंने कहा – “हम इसका स्वागत करते हैं, कश्मीर हमारे दिल का टुकड़ा है, हम चाहते हैं पाकिस्तान भी फिर से भारत का हिस्सा बने।”
धर्मगुरु कल्बे जवाद का बयान:
न्यूज एजेंसी से बातचीत में मौलाना कल्बे जवाद ने कहा:
“जो लोग चाहते थे कि कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा बन जाए, वो गलत थे। हमने हमेशा यही कहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा। हम उन संगठनों का स्वागत करते हैं जिन्होंने हुर्रियत से खुद को अलग कर लिया और भारत के प्रति निष्ठा जताई। पाकिस्तान भी कभी भारत का हिस्सा था और हम चाहते हैं कि वो भी फिर से भारत में शामिल हो।”
किन संगठनों ने तोड़ा हुर्रियत से नाता?
- हकीम अब्दुल रशीद – अध्यक्ष, जम्मू-कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग
- मोहम्मद यूसुफ नकाश – प्रमुख, जम्मू-कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी
- बशीर अहमद अंद्राबी – प्रमुख, कश्मीर फ्रीडम फ्रंट
इन नेताओं ने अलग-अलग बयानों में भारत के संविधान और संप्रभुता के प्रति पूर्ण निष्ठा व्यक्त करते हुए अलगाववादी एजेंडे से खुद को अलग करने का एलान किया।
हुर्रियत में टूट का सिलसिला जारी:
यह पहली बार नहीं है जब हुर्रियत में टूट की खबर आई है। इससे पहले भी भारत विरोधी हुर्रियत गुट के 23 में से 11 सदस्य खुद को इससे अलग कर चुके हैं। अब इन तीन वरिष्ठ नेताओं के अलग होने से हुर्रियत का आधार और भी कमजोर होता नजर आ रहा है।
अमित शाह का दौरा और रणनीतिक संदेश
गृहमंत्री अमित शाह का यह दौरा पहले से ही कई सुरक्षा और विकास परियोजनाओं से जुड़ा है। लेकिन इन घटनाओं ने राजनीतिक और रणनीतिक तौर पर एक बड़ा संदेश दिया है – कि अब कश्मीर में अलगाववादी सोच की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है।