🕒 Published 4 months ago (8:24 AM)
Congress Convention 2025: गुजरात में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है, जहां पार्टी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को आगामी चुनावों के लिए तैयार करने का प्रयास कर रही है। यह अधिवेशन एक ऐसे राज्य में हो रहा है जहां कांग्रेस पिछले तीन दशकों से सत्ता से बाहर है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह अधिवेशन कांग्रेस को गुजरात में भाजपा के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने में मदद करेगा।
राहुल गांधी का दावा और कांग्रेस की स्थिति
लोकसभा में विश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी ने दावा किया था कि “गुजरात में विपक्षी INDIA गठबंधन भाजपा को हराने जा रहा है।” इसके बाद उन्होंने अपने गुजरात दौरे में भी यह बयान दोहराया। पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन बाद में हुए विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी को कोई खास सफलता नहीं मिली। झारखंड और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर कांग्रेस को अन्य राज्यों में निराशा हाथ लगी।
हाल ही में गुजरात दौरे के दौरान राहुल गांधी ने पार्टी के भीतर मौजूद गुटबाजी पर खुलकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता जनता के साथ जुड़े हुए हैं, जबकि कुछ नेता पार्टी से कटे हुए हैं और उनमें से कई भाजपा से मिले हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस ऐसे नेताओं को हटाने के लिए कठोर कदम उठाने को तैयार है।
गुजरात में कांग्रेस का पिछला प्रदर्शन
गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले पांच विधानसभा चुनावों में उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 41.44% वोट शेयर के साथ 77 सीटें जीती थीं, जो भाजपा से केवल 22 सीटें कम थीं। इस प्रदर्शन से कांग्रेस को उम्मीद बंधी कि वह भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 27.28% रह गया और उसे सिर्फ 17 सीटें मिलीं।
इस चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रवेश ने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया। आप ने 12.92% वोट के साथ 5 सीटें जीत लीं, जिससे भाजपा को ऐतिहासिक जीत हासिल करने में मदद मिली। भाजपा ने 52.5% वोटों के साथ 156 सीटें जीतीं। चुनाव के बाद कांग्रेस के कई विधायक भाजपा में शामिल हो गए, जिससे पार्टी की स्थिति और कमजोर हो गई।
गुजरात में कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती
कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह पिछले 30 वर्षों से सत्ता से बाहर है। इस कारण राज्य के युवा मतदाताओं में कांग्रेस को लेकर कोई ठोस पहचान नहीं बन पाई है। हालांकि, गुजरात में कांग्रेस का अब भी 30% तक का वोट शेयर मौजूद है, लेकिन पार्टी के पास कोई मजबूत स्थानीय नेतृत्व नहीं है।
कांग्रेस ने बीते वर्षों में जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल जैसे नेताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई खास फायदा नहीं हुआ। हार्दिक पटेल तो बाद में भाजपा में शामिल हो गए। इसके अलावा, कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता व्यक्तिगत लाभ के लिए भाजपा के साथ करीबी संबंध बनाए हुए हैं, जिससे पार्टी का संगठन कमजोर हुआ है।
भविष्य की रणनीति और कांग्रेस की उम्मीदें
2022 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव में थोड़ी राहत मिली, जब उसने गुजरात में एक सीट जीती। हालांकि, यह जीत आप के साथ गठबंधन का नतीजा थी। अब यह गठबंधन टूट चुका है और कांग्रेस को अकेले दम पर भाजपा से मुकाबला करना होगा।
गुजरात में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन पार्टी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। 64 साल बाद गुजरात में हो रहे इस अधिवेशन से कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और भाजपा को हराने की रणनीति बनाने पर जोर दे रही है।
गुजरात में अगला विधानसभा चुनाव 2027 में होगा, लेकिन कांग्रेस ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा गुजरात में अब भी मजबूत है, लेकिन कांग्रेस को लगता है कि आगामी वर्षों में गुजरात मॉडल को भाजपा के यूपी मॉडल से चुनौती मिल सकती है।
अगर कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत कर पाती है, जनता के बीच विश्वसनीयता बना पाती है और जमीनी स्तर पर सक्रिय नेताओं को आगे लाती है, तो गुजरात में भाजपा के किले को भेदने का सपना पूरा हो सकता है। हालांकि, यह आसान नहीं होगा, क्योंकि भाजपा अभी भी राज्य में अजेय मानी जाती है।