🕒 Published 2 months ago (6:29 AM)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चाल उलटी पड़ी, ट्रंप द्वारा विश्व के 60 से अधिक देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में भूचाल ला दिया है। इस कदम से न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ा है, बल्कि विश्वभर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई है। पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने पहले ही इस प्रकार के कदमों को आत्मघाती बताया था, और अब उनकी चेतावनी सच साबित होती दिख रही है।
ट्रंप की चाल उलटी पड़ी: वैश्विक बाजारों में हाहाकार
ट्रंप की चाल उलटी पड़ी, जब उनके टैरिफ के ऐलान के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई। नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स में 5.97% की गिरावट आई, जो मार्च 2020 के बाद सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। एसएंडपी 500 और डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में भी जून 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। इससे निवेशकों को कुल मिलाकर 2.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। news
रघुराम राजन की चेतावनी हुई सच साबित
पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने पहले ही ट्रंप के टैरिफ नीतियों पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह के कदम अमेरिका के लिए आत्मघाती हो सकते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं। राजन ने यह भी कहा था कि ये टैरिफ न केवल अमेरिका के लिए हानिकारक होंगे, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरा बन सकते हैं।
विभिन्न सेक्टर्स पर प्रभाव
ट्रंप की चाल उलटी पड़ी, क्योंकि उनके टैरिफ के प्रभाव से लगभग हर सेक्टर प्रभावित हुआ है। बैंकिंग, रिटेल, कपड़ा, एयरलाइन और टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टैक्स की वजह से वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे, तो उपभोक्ता खर्च में कमी आ सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मंदी की आशंका
फिच रेटिंग्स के अमेरिका में इकनॉमिक रिसर्च के प्रमुख ओलू सोनोला ने कहा कि ये टैरिफ न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे कई देशों में मंदी आ सकती है। इस आशंका के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई है। news
एयरलाइन और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर प्रभाव
एयरलाइन कंपनियों को इस साल अच्छे मुनाफे की उम्मीद थी, लेकिन ट्रंप की चाल उलटी पड़ी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर अमेरिकियों को आवश्यक वस्तुओं के लिए अधिक पैसे देने पड़ेंगे, तो वे यात्रा पर कम खर्च करेंगे। इस कारण यूनाइटेड एयरलाइंस, अमेरिकन एयरलाइंस और डेल्टा एयरलाइंस के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। इसी तरह, ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी जनरल मोटर्स, फोर्ड, टेस्ला और स्टेलेंटिस के शेयरों में गिरावट आई है।
टेक्नोलॉजी और रिटेल सेक्टर पर असर
टेक्नोलॉजी कंपनियां, जो अपने पार्ट्स विदेशों से मंगाती हैं, अब उनके प्रोडक्ट्स महंगे हो जाएंगे। इस कारण ऐपल, एचपी, डेल और एनवीडिया जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है। इसी तरह, बड़े रिटेलर्स भी अपना ज्यादातर सामान विदेशों से मंगाते हैं, जिससे ऐमजॉन, टारगेट, बेस्ट बाय, डॉलर ट्री और कोहल्स के शेयरों में भी गिरावट देखी गई है। news
बैंकिंग सेक्टर पर प्रभाव
अगर अर्थव्यवस्था में मंदी आती है, तो लोग और कंपनियां कम पैसे उधार लेंगे, जिससे प्रोडक्ट और सेवाओं की मांग कम हो जाएगी। इस कारण बैंकिंग शेयरों में भी गिरावट रही। वेल्स फारगो, बैंक ऑफ अमेरिका और जेपी मॉर्गन चेस के शेयरों में notable गिरावट देखी गई है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
ट्रंप की चाल उलटी पड़ी, क्योंकि उनके टैरिफ के खिलाफ विश्वभर में आलोचना हो रही है। द गार्जियन ने इन टैरिफ्स को ‘मूर्खतापूर्ण’ करार दिया है और कहा है कि इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली की स्थिरता को खतरा है। The Guardian
निष्कर्ष
ट्रंप की चाल उलटी पड़ी, क्योंकि उनके द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ से न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की चेतावनी सच साबित हुई है, और अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिका और अन्य देश इस स्थिति से कैसे निपटते हैं।
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