वक्फ संशोधन बिल को लेकर सियासत तेज, कल संसद में पेश होने की संभावना, विपक्ष और सरकार में टकराव जारी

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By Ankit Kumar

🕒 Published 4 months ago (7:43 AM)

वक्फ संशोधन बिल को लेकर देश की राजनीति गरमा गई है। चर्चा के बाद यह विधेयक कल, 2 अप्रैल को संसद में पेश किया जा सकता है। इससे पहले, आज सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच इस बिल को लेकर जोरदार बहस छिड़ी हुई है।

सत्ता पक्ष का रुख

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर बीजेपी के लोकसभा सचेतकों के साथ बैठक की। इस बीच, केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष के पास विरोध के अलावा कोई काम नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार वही करेगी जिससे देश और नागरिकों को लाभ हो। वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि जब सरकार हर बिल को पेश करती है, तो वक्फ संशोधन विधेयक को भी पेश किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी विधेयक संविधान के खिलाफ नहीं आता, यह कांग्रेस को समझना चाहिए।

 

कांग्रेस का पक्ष

कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल ने कहा कि यदि विधेयक सही तरीके से लाया जाता है, तो कांग्रेस उसका स्वागत करेगी, लेकिन इसमें उनके द्वारा सुझाए गए सभी संशोधन होने चाहिए। वहीं, कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि इस बिल में कई खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जब यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया, तो आवश्यक संशोधन करने के बजाय नए संशोधन जोड़ दिए गए, जो सही नहीं हैं। उन्होंने इसे देश की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया।

शिवसेना का बयान

शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने कहा कि उनकी पार्टी वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि बालासाहेब ठाकरे चाहते थे कि वक्फ कानून को खत्म किया जाए क्योंकि इसका सही उपयोग गरीब अल्पसंख्यकों के लिए होना चाहिए, लेकिन कुछ नेता वक्फ संपत्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नया विधेयक गरीब मुसलमानों के लिए लाभकारी होगा।

भाजपा की दलील

बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक गरीब मुसलमानों के लिए हितकारी है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के तहत किसी भी वक्फ संपत्ति को सरकार या कोई अन्य हड़प नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि जो भी इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं, वे संविधान विरोधी हैं।

जेडीयू का स्टैंड

केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता राजीव रंजन (ललन) सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर संसद में अपना रुख स्पष्ट करेगी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने पिछले 20 वर्षों में मुसलमानों के हित में जो काम किया है, वह किसी अन्य सरकार ने नहीं किया।

मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया

ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि इस विधेयक को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जो सही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के हितों की रक्षा करना है। उन्होंने अपील की कि लोगों को गुमराह करने के बजाय, एक मजबूत और पारदर्शी कानून का समर्थन करना चाहिए।

समाजवादी पार्टी का रुख

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा हर क्षेत्र में हस्तक्षेप करना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी मनमानी कर रही है और इसका सीधा असर देश की धर्मनिरपेक्षता पर पड़ सकता है। सपा सांसद आनंद भदौरिया ने कहा कि उनकी पार्टी पहले दिन से इस बिल का विरोध कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की नजर वक्फ संपत्तियों पर है, जिन्हें बाद में उनके उद्योगपति मित्रों को सौंप दिया जाएगा।

टीडीपी का समर्थन

तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम कुमार जैन ने कहा कि पूरा मुस्लिम समुदाय इस विधेयक के आने का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का समर्थन करेगी और चंद्रबाबू नायडू पहले ही कह चुके हैं कि वे मुस्लिम समुदाय के हित में काम करेंगे।

जेपीसी अध्यक्ष का बयान

जेपीसी के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि इस बिल के खिलाफ विरोध सुनियोजित साजिश के तहत हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने ईद के दौरान विरोध की अपील करके धार्मिक अवसर को राजनीतिक बना दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद वक्फ कानून को अधिक पारदर्शी बनाना है, जिससे किसी समुदाय को नुकसान नहीं होगा।

निष्कर्ष

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश में सियासी घमासान तेज हो गया है। विपक्ष इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बता रहा है, तो सरकार इसे पारदर्शी कानून बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मान रही है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि यह विधेयक कल संसद में पेश होगा या नहीं, और इस पर क्या रुख अपनाया जाएगा।

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