मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार, जानलेवा हमले की साजिश का लगाया बड़ा आरोप

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By Pragati Tomer

🕒 Published 4 months ago (6:45 AM)

मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार, जानलेवा हमले की साजिश का लगाया बड़ा आरोप

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से सियासी पारा चढ़ गया है। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अखिलेश यादव पर बड़ा आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला है। मायावती ने 1995 में हुए लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए कहा है कि अखिलेश यादव और उनकी पार्टी उस जानलेवा हमले की साजिश में शामिल थी। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार इस समय हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ है।

30 साल पुरानी घटना पर ताज़ा हमला

मायावती ने हाल ही में आगरा में समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर हुए हमले को लेकर अखिलेश यादव पर सीधा निशाना साधा। इसके साथ ही उन्होंने लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस में अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले की याद दिलाते हुए अखिलेश यादव से पश्चाताप की मांग की। मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि अखिलेश यादव को अपनी सरकार के दौरान हुए इस हमले को याद कर लेना चाहिए और उसका प्रायश्चित भी करना चाहिए।

आगरा की घटना के पीछे की राजनीति?

मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार सिर्फ एक व्यक्तिगत आरोप तक सीमित नहीं रहा। मायावती ने इस मामले को राजनीतिक रंग देते हुए कहा कि आगरा की घटना के पीछे समाजवादी पार्टी अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सपा दलितों का उत्पीड़न कराने में लगी हुई है और इस तरह की राजनीति न सिर्फ घिनौनी है, बल्कि इसके जरिए वे दलित समाज के खिलाफ गहरी साजिश रच रहे हैं।

मायावती ने अखिलेश यादव को याद दिलाते हुए कहा कि जब वे कन्नौज के सांसद हैं, तब उन्हें अपने दल के ऐसे कृत्यों पर पछताना चाहिए। साथ ही, उन्होंने आगरा की घटना को ‘अत्यधिक चिंताजनक’ बताया और समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया कि वे दलित नेताओं को आगे करके अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास कर रहे हैं।

2 जून 1995 का लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस कांड

मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार में 1995 में हुए लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस कांड की घटना को भी बड़ी प्रमुखता से उठाया गया है। इस घटना में मायावती को घेरकर उनकी जान लेने की कोशिश की गई थी। मायावती ने सपा सरकार को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया था और इसे समाजवादी पार्टी की दलित विरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया था। मायावती का कहना है कि अखिलेश यादव को इस घटना के बारे में पूरी तरह से पता है और उन्हें इस पर शर्म आनी चाहिए।

अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल

इस पूरे घटनाक्रम में एक बात जो सबको खटक रही है, वो है अखिलेश यादव की चुप्पी। मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार के बाद राजनीतिक विश्लेषक और जनता दोनों ही इस बात पर गौर कर रहे हैं कि अखिलेश यादव ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी है। क्या वे इस मुद्दे को हल्के में ले रहे हैं या फिर उनके पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं है? मायावती ने अखिलेश यादव की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए हैं और कहा कि वे जानबूझकर इस मामले से किनारा कर रहे हैं।

मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार

सपा और बसपा का पुराना संघर्ष

उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा और बसपा का संघर्ष कोई नई बात नहीं है। दोनों दलों के बीच पिछले तीन दशकों से सत्ता के लिए संघर्ष चल रहा है। चाहे वह मुलायम सिंह यादव के दौर की राजनीति हो या अखिलेश यादव की नई सोच वाली समाजवादी पार्टी, मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार हमेशा सुर्खियों में रहा है। खासकर 1995 की घटना के बाद से बसपा और सपा के बीच की खटास कभी खत्म नहीं हुई।

दलित वोट बैंक पर नजर

मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार के पीछे एक बड़ा कारण दलित वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करना भी है। मायावती को दलितों का एक बड़ा समर्थन प्राप्त है और वह इस समर्थन को कायम रखना चाहती हैं। वहीं अखिलेश यादव की कोशिश रही है कि वे भी इस वर्ग को अपने पक्ष में ला सकें। आगरा की घटना को लेकर मायावती ने जिस तरह से सपा पर हमला बोला है, उससे साफ जाहिर होता है कि वे दलितों के साथ किसी भी सियासी खेल को बर्दाश्त नहीं करेंगी।

सियासी माहौल में हलचल

मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार से उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। इस बयान के बाद से प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बनने के संकेत मिलने लगे हैं। भाजपा भी इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि बसपा और सपा के बीच के संघर्ष का सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि अखिलेश यादव इस हमले का जवाब कैसे देते हैं।

मायावती का कड़ा संदेश

मायावती ने अपने बयान से साफ कर दिया है कि वे अब किसी भी सियासी चालबाजी को बर्दाश्त नहीं करेंगी। उन्होंने आगरा की घटना को लेकर सपा को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि इस घटना का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश न करें। मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार ने समाजवादी पार्टी को बैकफुट पर लाने का काम किया है, और अब अखिलेश यादव को इसका जवाब देना होगा।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित और पिछड़ी जातियों का हमेशा से अहम रोल रहा है। मायावती और अखिलेश यादव, दोनों ही नेता इन वर्गों को अपने पक्ष में रखने की कोशिश करते रहे हैं। लेकिन मायावती का अखिलेश पर तीखा प्रहार ने इस बार सियासी माहौल को और गरमा दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले पर अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया क्या होती है और उत्तर प्रदेश की राजनीति किस दिशा में जाती है।

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