🕒 Published 4 months ago (5:50 AM)
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में लगी आग से जुड़ा मामला अब सियासी हलकों में चर्चा का केंद्र बन गया है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब आग बुझाने के दौरान बड़ी मात्रा में नगदी बरामद हुई। इस घटनाक्रम को लेकर संसद में जोरदार बहस छिड़ी हुई है, और अब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे लेकर अहम बैठक बुला ली है।
संसद में गूंजा मामला, हंगामे के आसार
पिछले शुक्रवार को कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी, जिसके बाद यह मामला और तूल पकड़ गया। आज भी संसद में इस पर तीखी बहस होने की संभावना है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्यसभा के सभापति ने पहले से ही एक उच्चस्तरीय बैठक बुला ली है।
इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे शामिल होंगे। इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस वर्मा से जुड़े मामले पर चर्चा की रणनीति तैयार करना है। साथ ही, इसमें नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमिशन (NJAC) को लेकर भी बातचीत होने की संभावना जताई जा रही है।

क्या है पूरा मामला?
14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई थी। उस समय वे शहर में मौजूद नहीं थे। उनके पर्सनल सेक्रेटरी ने पुलिस को इस घटना की सूचना दी थी, जिसके बाद दमकल विभाग ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। लेकिन इसी दौरान एक कमरे में नगदी के अधजले ढेर मिलने से मामला और पेचीदा हो गया।
जैसे ही इस सूचना की पुष्टि हुई, दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने इसे दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तक पहुंचाया और फिर मामला सीधे देश के मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में आ गया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया है, और उनकी कॉल डिटेल्स खंगाली जा रही हैं।
NJAC पर फिर छिड़ सकती है बहस
इस मामले ने न्यायपालिका की नियुक्ति प्रणाली को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने इस ओर इशारा किया कि यदि नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमिशन (NJAC) कानून प्रभावी होता, तो जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होती और ऐसी घटनाएं टाली जा सकती थीं।
गौरतलब है कि NJAC कानून संसद से पारित हो चुका था, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। अब, इस मामले के बाद NJAC को दोबारा लागू करने की मांग तेज हो सकती है।
आगे की कार्रवाई पर नजर
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अपने स्तर पर जांच कर रहा है, और जस्टिस वर्मा को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे अपनी कॉल डिटेल्स और डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखें। मामले की गंभीरता को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि न्यायपालिका और सरकार इस पर क्या रुख अपनाती हैं।
अब सबकी निगाहें संसद में होने वाली चर्चा और सुप्रीम कोर्ट की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं। क्या इस मामले से न्यायपालिका की छवि पर असर पड़ेगा? क्या NJAC की बहाली की मांग जोर पकड़ेगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल, यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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