भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक अप्रैल 2025 के दूसरे सप्ताह में होने जा रही है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में रेपो रेट में संभावित कटौती को लेकर अनुमान तेज़ हो गए हैं। फरवरी 2025 में घोषित खुदरा महंगाई दर के आँकड़े 4% के निर्धारित लक्ष्य से नीचे गिर गए हैं, जिससे यह उम्मीद बढ़ गई है कि आरबीआई ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है।
महंगाई दर और उसकी स्थिति
12 मार्च 2025 को सांख्यिकी मंत्रालय ने जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई दर फरवरी में 3.61% हो गई थी, जो जनवरी में 4.3% थी। खाद्य महंगाई में आई कमी इस गिरावट का मुख्य कारण है।
खाद्य महंगाई दर भी जनवरी 2025 के 5.97% से घटकर फरवरी में 3.75% पर आ गई है। सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी ने महंगाई को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही, रबी फसलें भी अच्छी होने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे आने वाले महीनों में महंगाई दर में और गिरावट देखने को मिल सकती है।

रेपो रेट में संभावित कटौती
आरबीआई की आखिरी मौद्रिक नीति बैठक 7 फरवरी 2025 को हुई थी, जिसमें रेपो रेट को 6.50% से कम करके 6.25% कर दिया गया था। अब जब खुदरा महंगाई दर में और भी गिरावट आई है, तो अप्रैल की होने वाली बैठक में आरबीआई द्वारा फिर से रेपो रेट में कटौती की जा सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कटौती 25 बेसिस पॉइंट या उससे अधिक भी हो सकती है, जिससे ईएमआई का बोझ कम होगा और उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा।
ब्याज दरों में कटौती के संभावित प्रभाव
होम लोन और अन्य ऋणों पर असर: रेपो रेट कटौती से होम लोन, कार लोन और अन्य ऋणों की ईएमआई कम हो सकती है।
बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ेगा: ब्याज दरों में कटौती के कारण उधारी लेना आसान हो जाएगा, जिससे बाजार में तरलता बनी रहेगी।
रियल एस्टेट सेक्टर को लाभ: कम ब्याज दरों के कारण लोग घर खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे रियल एस्टेट बाजार को बढ़ावा मिलेगा।
उपभोक्ता खर्च में वृद्धि: ईएमआई का बोझ कम होने के कारण लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ सकती है।
अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव
भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावी ढंग से स्थिर विकास दर की दिशा में आगे बढ़ रही है, जिससे इसे और मजबूत बनाने के लिए खपत और निवेश बढ़ना होगा। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति इस बात पर विचार करते हुए ब्याज दरों में कटौती कर सकती है।
आगामी बैठक में लिए जाने वाले फैसले का लंबे समय तक का प्रभाव हो सकता है, जिससे घरेलू और विदेशी निवेशकों का भी भरोसा बढ़ेगा।
निष्कर्ष
अप्रैल 2025 में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में ब्याज दरों में संभावित कटौती को लेकर आशा की किरणें दिखाई दे रही हैं। यदि आरबीआई खुदरा महंगाई दर में आई गिरावट को ध्यान में रखते हुए ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे न केवल आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। हालाँकि, इस मौद्रिक नीति के फैसले के दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन करना भी महत्वपूर्ण होगा।
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