महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में भारत ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। लोन लेने और उसे समय पर चुकाने के मामले में महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे हैं। यह बदलाव केवल वित्तीय जरूरतों का परिणाम नहीं, बल्कि महिलाओं की बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रता, जागरूकता और वित्तीय प्रबंधन में उनकी दक्षता को दर्शाता है।
नीति आयोग और विभिन्न वित्तीय संगठनों की हालिया रिपोर्टों के अनुसार, महिला उधारकर्ताओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। दिसंबर 2024 तक, भारत में सक्रिय महिला उधारकर्ताओं की संख्या 8.3 करोड़ तक पहुंच गई, जो कि 2023 की तुलना में 10.8% अधिक थी। इसके विपरीत, पुरुषों की वृद्धि दर केवल 6.5% थी।
इस लेख में, हम विस्तार से देखेंगे कि कैसे महिलाओं के लोन लेने की प्रवृत्ति बदली है, किन उद्देश्यों के लिए महिलाएं ऋण ले रही हैं, और इस प्रवृत्ति के सामाजिक व आर्थिक प्रभाव क्या हैं।
भारत में महिला उधारकर्ताओं की संख्या में वृद्धि

महिलाओं द्वारा लोन लेने की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में भारी वृद्धि देखी गई है। 2022 के बाद से इसमें 45% वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई। एमपोकेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में महिला उधारकर्ताओं ने कुल 4.8 लाख करोड़ रुपये के लोन लिए। यह आंकड़ा न केवल महिलाओं के वित्तीय आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम को दर्शाता है, बल्कि बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों का भी महिलाओं के प्रति बढ़ते विश्वास को दिखाता है।
बैंक और वित्तीय संस्थान आमतौर पर पुनर्भुगतान अनुशासन के आधार पर ग्राहकों को लोन देते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक अनुशासित उधारकर्ता साबित हो रही हैं। वे समय पर लोन का पुनर्भुगतान करने में अधिक विश्वसनीय हैं, जिससे बैंक उन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं।
महिलाओं द्वारा लिए जाने वाले प्रमुख लोन और उनके उद्देश्य
महिलाओं द्वारा लिए गए लोन विभिन्न उद्देश्यों के लिए होते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापार और व्यक्तिगत आवश्यकताएं शामिल हैं।
1. स्वास्थ्य और मेडिकल आपातकालीन लोन
महिलाओं की प्राथमिकता में हेल्थकेयर सबसे ऊपर रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, 33.5% महिला उधारकर्ताओं ने लोन का उपयोग मेडिकल इमरजेंसी के लिए किया। इसके अंतर्गत सर्जरी, प्रसूति देखभाल, कैंसर उपचार और अन्य गंभीर बीमारियों के लिए लोन लिए गए।
2. शिक्षा और कौशल विकास लोन
शिक्षा महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रिपोर्ट के अनुसार, 20.6% महिलाओं ने लोन का उपयोग स्किल डेवलपमेंट और उच्च शिक्षा के लिए किया।
महिलाओं द्वारा शिक्षा लोन लेने के पीछे कई कारण हैं:
- उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता
- विदेश में पढ़ाई के अवसर
- कौशल विकास के लिए कोर्स और ट्रेनिंग प्रोग्राम
3. बिजनेस और उद्यमिता लोन
महिलाएं केवल नौकरी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए भी लोन ले रही हैं। 17.4% महिला उधारकर्ताओं ने बिजनेस लोन लिए, जो उनकी बढ़ती उद्यमशीलता को दर्शाता है।
पूर्वी भारत में महिला उद्यमिता विशेष रूप से मजबूत रही, जहां 25% महिला उधारकर्ताओं ने अपने व्यवसाय के लिए लोन का उपयोग किया।
महिला उद्यमिता बढ़ाने के लिए सरकार भी विभिन्न योजनाएं चला रही है, जैसे:
- मुद्रा योजना: महिलाओं को स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- स्टैंड अप इंडिया योजना: महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को बिजनेस शुरू करने के लिए लोन देती है।
- महिला उद्यमिता मंच (WEP): महिला उद्यमियों को मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
4. व्यक्तिगत और होम लोन
महिलाएं अब बड़ी संख्या में व्यक्तिगत और होम लोन भी ले रही हैं। बैंकिंग रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में होम लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। बैंकों द्वारा महिलाओं को होम लोन पर विशेष छूट दी जाती है, जैसे कम ब्याज दरें और सरल पुनर्भुगतान योजनाएं।

महिलाओं की बढ़ती वित्तीय जागरूकता और क्रेडिट स्कोर
महिलाएं अब अपने क्रेडिट स्कोर के प्रति अधिक जागरूक हो रही हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में 2.7 करोड़ महिलाएं अपने क्रेडिट स्कोर को ट्रैक कर रही थीं, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 42% अधिक थी।
क्रेडिट स्कोर का महत्व:
- बेहतर क्रेडिट स्कोर से लोन मिलने की संभावना अधिक होती है।
- कम ब्याज दरों पर लोन प्राप्त किया जा सकता है।
- भविष्य में वित्तीय स्थिरता बनी रहती है।
महिलाओं की बढ़ती वित्तीय साक्षरता से उनकी आर्थिक स्वतंत्रता भी बढ़ी है। वे अब निवेश, बीमा और अन्य वित्तीय साधनों में भी रुचि ले रही हैं।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा महिलाओं को प्राथमिकता क्यों दी जा रही है?
बैंक और वित्तीय संस्थान महिलाओं को लोन देने में ज्यादा रुचि क्यों ले रहे हैं? इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं:
1. बेहतर पुनर्भुगतान अनुशासन:
- रिपोर्टों के अनुसार, महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक अनुशासित होती हैं और लोन समय पर चुकाती हैं।
- इससे बैंकों को डिफॉल्ट की संभावना कम होती है।
2. सरकारी योजनाओं का समर्थन:
- सरकार महिलाओं के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है।
- इनमें सस्ती ब्याज दरों पर लोन और आसान भुगतान योजनाएं शामिल हैं।
3. नवाचार और आर्थिक विकास में योगदान:
- महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्यमिता में लोन का सही उपयोग करती हैं, जिससे समाज और अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।
महिला वित्तीय सशक्तिकरण के लाभ
महिलाओं के बढ़ते वित्तीय सशक्तिकरण से कई सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं:
1. आर्थिक स्वतंत्रता:
- महिलाएं अब केवल घर की जिम्मेदारियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अपने आर्थिक निर्णय स्वयं ले रही हैं।
2. स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार:
- महिलाओं द्वारा लिए गए लोन का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए उपयोग किया जा रहा है।
3. महिला उद्यमिता को बढ़ावा:
- बिजनेस लोन लेकर महिलाएं अपने खुद के व्यवसाय शुरू कर रही हैं, जिससे आत्मनिर्भरता बढ़ रही है।
4. बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रति विश्वास:
- बेहतर पुनर्भुगतान अनुशासन के कारण बैंक अब महिलाओं को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।
भारत में महिला उधारकर्ताओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। 2024 में, महिलाओं ने 4.8 लाख करोड़ रुपये के लोन लिए, और वे पुरुषों की तुलना में अधिक अनुशासित उधारकर्ता साबित हुई हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजनेस के लिए लोन लेने की प्रवृत्ति महिलाओं के बढ़ते वित्तीय सशक्तिकरण को दर्शाती है।
सरकार और वित्तीय संस्थानों को महिलाओं की इस वित्तीय यात्रा को और अधिक सशक्त बनाने के लिए बेहतर योजनाएं और नीतियां बनानी चाहिए। महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण केवल व्यक्तिगत प्रगति ही नहीं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र की आर्थिक मजबूती में योगदान देता है।
अधिक जानकारी और ताज़ा ख़बरों के लिए जुड़े रहें hindustanuday.com के साथ।