रूस ने यूक्रेन शांति प्रस्ताव को नकारा, फ्रांस-ब्रिटेन की कोशिशें नाकाम

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By Pragati Tomer

रूस ने यूक्रेन शांति प्रस्ताव को नकारा, फ्रांस-ब्रिटेन की कोशिशें नाकाम

रूस ने यूक्रेन शांति प्रस्ताव को नकारा:

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कई महीनों से जारी संघर्ष के समाधान की कोशिशों में एक और बड़ा झटका तब लगा, जब रूस ने फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा लाए गए यूक्रेन शांति प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। रूस का कहना है कि यह शांति प्रस्ताव दरअसल यूक्रेनी सेना को राहत देने और उनके पतन को रोकने की एक चाल है।

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने इस प्रस्ताव को नकारते हुए इसे पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन की सैन्य स्थिति को मजबूत करने का एक प्रयास बताया। उनके अनुसार, हवाई हमलों और नौसैनिक कार्रवाई में प्रस्तावित विराम का मुख्य उद्देश्य यूक्रेनी सेना को फिर से संगठित होने का मौका देना है ताकि वे मोर्चे पर अपनी पकड़ बनाए रख सकें। जखारोवा ने यह भी कहा कि कीव इस प्रकार के युद्धविराम का उपयोग अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए करेगा, जिससे यह संघर्ष और लंबे समय तक खिंच सकता है।

रूस ने यूक्रेन शांति प्रस्ताव को नकारा और इसके पीछे की मंशा को शंका के दायरे में रखा। रूस का मानना है कि यह प्रस्ताव युद्ध को रोकने की बजाय यूक्रेन को अपने सैन्य संसाधनों को बढ़ाने का मौका देता, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।

फ्रांस-ब्रिटेन की शांति प्रयासों पर रूसी प्रतिक्रिया:

फ्रांस और ब्रिटेन ने यह शांति प्रस्ताव यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए लाया था, जिसमें हवाई हमलों और नौसैनिक कार्रवाई को रोकने की बात शामिल थी। परंतु, रूस की ओर से इसे तत्काल खारिज कर दिया गया। जखारोवा ने इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “प्रस्तावित विराम का उद्देश्य केवल यूक्रेनी सेना को बचाना और मोर्चे के पतन को रोकना है।” उनका कहना है कि रूस इस प्रकार के किसी भी युद्धविराम में शामिल नहीं होगा, जिससे कीव की ताकत बढ़े और संघर्ष फिर से भड़क उठे।

रूस की इस प्रतिक्रिया ने फ्रांस और ब्रिटेन की शांति कोशिशों को गहरा झटका दिया है। जहां पश्चिमी देश इस प्रस्ताव को एक समाधान के रूप में देख रहे थे, वहीं रूस ने इसे यूक्रेन की सैन्य स्थिति को सुधारने की एक कोशिश बताया। रूस ने यूक्रेन शांति प्रस्ताव को नकारा, और इसके पीछे की मंशा पर सवाल खड़ा किया।

रूस ने यूक्रेन शांति प्रस्ताव को नकारा

यूक्रेन की प्रतिक्रिया:

इस बीच, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी इस प्रस्ताव को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। जेलेंस्की का कहना है कि जब तक यूक्रेन को उचित सुरक्षा गारंटी नहीं मिलती, तब तक वह रूस के साथ किसी भी प्रकार की शांति वार्ता या युद्धविराम के लिए तैयार नहीं होंगे। उनका यह भी मानना है कि रूस के साथ किसी भी प्रकार की शांति वार्ता तब तक संभव नहीं है, जब तक कि पश्चिमी देश यूक्रेन को सैन्य और राजनीतिक समर्थन नहीं देते।

जेलेंस्की ने यह भी कहा कि युद्ध का अंत अभी बहुत दूर है और फिलहाल यूक्रेन को अपने देश की सुरक्षा के लिए सैन्य तैयारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह उम्मीद जताई कि अमेरिका से उन्हें समर्थन मिलता रहेगा, जो कि यूक्रेन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

रूस-अमेरिका वार्ता पर रूस का बयान:

रूस ने अमेरिका के साथ वार्ता को लेकर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की है। रूस का कहना है कि वह अमेरिका के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए अमेरिका को पहले अपने वार्ताकारों की एक टीम तैयार करनी होगी। साथ ही, रूस ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार के प्रतिबंध हटाने पर चर्चा नहीं करेगा।

रूस का मानना है कि अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का कोई उचित आधार नहीं है, और इन प्रतिबंधों को हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। रूस ने यूक्रेन शांति प्रस्ताव को नकारा और यह भी साफ किया कि अमेरिका के साथ वार्ता तभी संभव होगी जब वे रूस की शर्तों को मानें।

फ्रांस और ब्रिटेन की शांति की कोशिशें नाकाम:

फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा लाए गए इस शांति प्रस्ताव को नकारने के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि रूस इस संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में अभी कोई रुचि नहीं दिखा रहा है। रूस ने यूक्रेन शांति प्रस्ताव को नकारा और इसके पीछे की मंशा को शंका के घेरे में रखा।

रूस का मानना है कि यह प्रस्ताव यूक्रेन की सेना को फिर से संगठित होने और अपनी सैन्य स्थिति को मजबूत करने का अवसर देगा, जिससे यह संघर्ष और लंबे समय तक चल सकता है। रूस ने यह भी कहा है कि वह केवल उन शांति प्रस्तावों पर विचार करेगा जो उसकी सुरक्षा और सैन्य हितों की रक्षा करते हों।

क्रेमलिन की प्रतिक्रिया:

रूस के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन ने भी इस मामले पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि किसी को जेलेंस्की को अपना रुख बदलने के लिए विवश करना होगा। उनका मानना है कि युद्ध को समाप्त करने के लिए यूक्रेन को अपनी स्थिति में बदलाव करना पड़ेगा।

पेस्कोव ने यह भी कहा कि रूस यूरोपीय सैनिकों की तैनाती के विचार को खारिज करता है और किसी भी प्रकार की शांति वार्ता के लिए पश्चिमी देशों को यूक्रेन पर दबाव डालना होगा।

यूक्रेन पर यूरोपीय देशों की भूमिका:

फ्रांस और ब्रिटेन के शांति प्रयासों के विफल होने के बाद अब यूरोप और अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को रक्षा सहयोग बढ़ाने का आश्वासन दिया है, जिससे यह साफ है कि वे इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए अभी किसी नए समाधान की तलाश कर रहे हैं।

यूरोप के शेयर बाजार और यूरो में तेजी आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि यूरोपीय देश यूक्रेन को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। हालांकि, रूस ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिससे यह संघर्ष और अधिक गंभीर हो सकता है।

ट्रंप की प्रतिक्रिया:

इस बीच, अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की है। ट्रंप का मानना है कि अमेरिका को रूस के बजाय अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका को अवैध प्रवासियों और ड्रग माफिया पर ध्यान देना चाहिए, ताकि देश की स्थिति और खराब न हो जाए।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रूथ सोशल” पर लिखा कि अमेरिका को पुतिन के बजाय अपने आंतरिक समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। उनका कहना है कि अमेरिका को रूस से ज्यादा खतरा अवैध प्रवासियों से है, और इस पर ध्यान देना जरूरी है।

निष्कर्ष:

रूस ने यूक्रेन शांति प्रस्ताव को नकारा, जिससे फ्रांस और ब्रिटेन की शांति की कोशिशें नाकाम हो गई हैं। रूस का यह निर्णय यूक्रेन और पश्चिमी देशों के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि इससे यह स्पष्ट हो गया है कि संघर्ष का अंत अभी दूर है।

रूस और पश्चिमी देशों के बीच चल रही इस कूटनीतिक खाई के और गहराने की संभावना है, और यह देखना बाकी है कि क्या भविष्य में कोई नया समाधान निकल सकता है।

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