ट्रंप से विवाद के बाद ज़ेलेंस्की की मुश्किलें बढ़ीं, यूक्रेन अब क्या करेगा?

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By Ankit Kumar

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध एक वैश्विक संकट बन चुका है, जिसने न केवल पूर्वी यूरोप बल्कि पूरी दुनिया की भू-राजनीतिक स्थिति को प्रभावित किया है। अमेरिका, जो यूक्रेन का प्रमुख सहयोगी रहा है, अब इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच बढ़ते मतभेदों और अमेरिका की संभावित सैन्य सहायता में कटौती के कारण इस संकट की जटिलता और बढ़ गई है।

ट्रंप-जेलेंस्की विवाद: यूक्रेन के लिए नया संकट

व्हाइट हाउस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस वैश्विक समुदाय के लिए चौंकाने वाली थी। यह अप्रत्याशित था कि दो देशों के प्रमुख कैमरे के सामने इतनी तीखी बहसबाजी करेंगे। ट्रंप ने जेलेंस्की पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यूक्रेन अमेरिका के समर्थन के लिए पर्याप्त रूप से आभारी नहीं है। यह टिप्पणी यूक्रेनी सरकार के लिए एक बड़े झटके के रूप में आई।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद अमेरिका और यूक्रेन के संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है। ट्रंप ने हमेशा से यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर सवाल उठाया है और अब उनके हालिया बयान इस बात की पुष्टि करते हैं कि वे यूक्रेन को और अधिक सहायता देने के पक्ष में नहीं हैं।

 

अमेरिका की यूक्रेन नीति में बदलाव के संकेत

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान हमेशा यह संकेत दिया है कि वे यूक्रेन को दी जाने वाली अरबों डॉलर की सैन्य सहायता के आलोचक रहे हैं। फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद, अमेरिका ने यूक्रेन को बड़े पैमाने पर वित्तीय और सैन्य समर्थन दिया था। हालांकि, ट्रंप ने पदभार संभालते ही इस समर्थन को कम करने के संकेत दिए।

ट्रंप ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की और यह स्पष्ट किया कि वे शांति वार्ता शुरू करना चाहते हैं, लेकिन इसमें यूक्रेन की कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं होगी। यह बयान यूक्रेन के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि अमेरिका का समर्थन कम होने से रूस के खिलाफ उनकी स्थिति कमजोर हो सकती है।

रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका की भूमिका

यूक्रेन लंबे समय से रूस के हमलों का सामना कर रहा है। अमेरिका और नाटो ने अब तक यूक्रेन को सैन्य उपकरण और वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिससे उसे रूस के आक्रमण का सामना करने में मदद मिली है। लेकिन अगर ट्रंप प्रशासन यूक्रेन की सैन्य सहायता को रोकने का फैसला करता है, तो यह कीव के लिए एक बड़ा झटका होगा।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ अपना आक्रामक रुख बनाए रखा है। यदि अमेरिका अपना समर्थन वापस लेता है, तो यूक्रेन को न केवल सैन्य संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ेगा, बल्कि रूस के बढ़ते प्रभाव का भी खतरा रहेगा।

 

यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया

यूक्रेन-अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव को यूरोप के कई देशों ने गंभीरता से लिया है। फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों ने यूक्रेन के लिए अपने समर्थन को दोहराया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका की संभावित वापसी के बाद यूरोपीय देश अकेले यूक्रेन को पर्याप्त समर्थन देने में सक्षम होंगे या नहीं।

यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों का मानना है कि अमेरिका के बिना रूस के खिलाफ यूक्रेन की स्थिति कमजोर हो सकती है। ऐसे में यूरोपीय देश अब अपने रक्षा बजट को बढ़ाने और यूक्रेन को स्वतंत्र रूप से समर्थन देने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।

वैश्विक प्रभाव: भारत, चीन और मध्य पूर्व की भूमिका

यूक्रेन युद्ध केवल यूरोप तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका तक फैल चुका है। भारत और चीन जैसे देश इस युद्ध को लेकर संतुलित रुख अपनाए हुए हैं।

  • भारत: भारत ने अब तक रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखे हैं। लेकिन यदि अमेरिका अपने सहयोग को वापस लेता है, तो भारत पर दबाव बढ़ सकता है कि वह यूक्रेन को अधिक समर्थन प्रदान करे।
  • चीन: चीन ने रूस का समर्थन किया है, लेकिन वह खुले तौर पर युद्ध में शामिल नहीं हुआ है। अमेरिका की वापसी के बाद चीन की स्थिति और मजबूत हो सकती है।
  • मध्य पूर्व: इस क्षेत्र में तेल बाजार और भू-राजनीतिक स्थिरता पर यूक्रेन युद्ध का गहरा प्रभाव पड़ा है।

यूक्रेन के लिए आगे क्या?

अगर अमेरिका अपने समर्थन को कम करता है, तो यूक्रेन के पास कुछ सीमित विकल्प ही बचेंगे।

1. यूरोपीय देशों से समर्थन: यूक्रेन यूरोपीय देशों से अधिक सैन्य और वित्तीय सहायता प्राप्त करने की कोशिश कर सकता है।

2. रूस के साथ बातचीत: यह संभावना भी हो सकती है कि यूक्रेन रूस के साथ किसी प्रकार की शांति वार्ता करने पर विचार करे। हालांकि, यह जेलेंस्की सरकार के लिए एक कठिन निर्णय होगा।

3. आंतरिक रक्षा को मजबूत करना: यूक्रेन को अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा, ताकि वह बाहरी समर्थन के बिना भी रूस का सामना कर सके।

ट्रंप-जेलेंस्की विवाद के बाद, यूक्रेन की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। अमेरिका की संभावित सैन्य सहायता कटौती यूक्रेन के लिए एक बड़ा झटका हो सकती है, जिससे रूस के आक्रमण की संभावना बढ़ सकती है। यूरोपीय देशों की भूमिका इस संकट में महत्वपूर्ण होगी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वे अमेरिका की अनुपस्थिति में यूक्रेन का कितना समर्थन कर पाएंगे। ऐसे में, आने वाले समय में यूक्रेन को अपनी रक्षा रणनीति को पुनः निर्धारित करने की आवश्यकता होगी।

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