सात ग्रहों की दुर्लभ परेड: बुध ने ली अपनी जगह
नई दिल्ली: आकाश में एक अद्भुत खगोलीय घटना का दीदार करने का मौका आ गया है। इस बार सात ग्रहों की दुर्लभ परेड हो रही है, जिसमें बुध ने अपनी जगह ले ली है। यह घटना उन खगोल प्रेमियों के लिए बेहद खास है जो ग्रहों की चाल और ब्रह्मांडीय घटनाओं में रुचि रखते हैं। इस तरह की घटना हर साल नहीं होती और अब यह अद्वितीय परेड अगले 2040 में ही दिखाई देगी।
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड क्या है?
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड एक ऐसा खगोलीय क्षण है जब हमारे सौर मंडल के सात ग्रह एक साथ आकाश में एक सीध में दिखाई देते हैं। यह नजारा बेहद दुर्लभ होता है क्योंकि इन सभी ग्रहों का एक साथ एक पंक्ति में दिखना कई संयोगों का परिणाम होता है। इस बार बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण (Uranus) और वरुण (Neptune) एक पंक्ति में आ रहे हैं, जो खगोल विज्ञान के प्रेमियों के लिए एक अनूठा दृश्य प्रस्तुत करेगा।
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड में बुध की भूमिका
इस बार की सात ग्रहों की दुर्लभ परेड में बुध ने अपनी खास जगह ली है। बुध, जो सूर्य के सबसे करीब है, अक्सर दिखाई नहीं देता क्योंकि वह क्षितिज के पास होता है और उसकी चमक सूर्य की रोशनी में छिप जाती है। हालांकि, इस बार बुध इस परेड में शामिल है और इस घटना को और भी रोमांचक बना रहा है। बुध, शनि, और वरुण तीनों ही क्षितिज के पास होंगे और इन्हें देख पाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन एक सही समय और स्थान से इन्हें देखा जा सकता है।
कहां और कब देखें सात ग्रहों की दुर्लभ परेड?
भारत में सात ग्रहों की दुर्लभ परेड को 28 फरवरी को सूर्यास्त के तुरंत बाद पश्चिमी क्षितिज के पास देखा जा सकता है। खगोल विशेषज्ञों के अनुसार, इस घटना को देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के करीब आधे घंटे बाद होगा। इसके अलावा, अगर आप इस नजारे को देखना चाहते हैं तो आपको रोशनी से दूर किसी खुले स्थान पर जाना होगा ताकि आप ग्रहों को स्पष्ट रूप से देख सकें।
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड देखने के लिए खगोल विज्ञान एप्स का भी उपयोग किया जा सकता है, जो आपको सही दिशा और समय का संकेत देंगे। इन एप्स की मदद से आप बिना किसी कठिनाई के ग्रहों को देख सकते हैं, खासकर उन ग्रहों को जो दूर हैं और टेलीस्कोप की जरूरत होती है।
क्या है सात ग्रहों की दुर्लभ परेड का विज्ञान?
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड का कारण यह है कि हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह एक ही विमान में सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जिसे ‘एक्लिप्टिक प्लेन’ कहा जाता है। यह सभी ग्रह अपनी-अपनी कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर घूमते हैं, लेकिन उनकी गति और दूरी के कारण कभी-कभी वे पृथ्वी से देखने पर एक सीध में दिखते हैं। इस बार का संयोग भी कुछ ऐसा ही है, जिससे ये सात ग्रह एक साथ दिखाई दे रहे हैं।
खगोल वैज्ञानिक डॉ. श्याम बालाजी का कहना है, “यह घटना ब्रह्मांडीय घटनाओं के अद्भुत संयोजन का परिणाम है। इस बार सभी सात ग्रह, खासकर बुध, एक परेड में शामिल हो रहे हैं, जो अपने आप में दुर्लभ है।”
कौन से ग्रह होंगे परेड में शामिल?
इस परेड में बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण शामिल हैं। इनमें से शुक्र, मंगल और बृहस्पति को नंगी आंखों से आसानी से देखा जा सकता है। इनकी चमक इतनी तेज होती है कि ये आसानी से पहचान में आ जाते हैं। वहीं, अरुण और वरुण को देखने के लिए टेलीस्कोप या दूरबीन की आवश्यकता होगी। बुध और शनि क्षितिज के काफी पास होंगे, इसलिए उन्हें देख पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन सही समय पर इन्हें भी देखा जा सकता है।
पिछली और अगली परेड
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड आखिरी बार जून 2022 में देखने को मिली थी, लेकिन उस समय केवल दो ग्रह नंगी आंखों से देखे जा सकते थे। जनवरी 2023 में भी छह ग्रहों की परेड हुई थी, जिसमें चार ग्रह बिना किसी उपकरण के देखे जा सकते थे। इस बार बुध ने इस परेड में शामिल होकर इसे और भी विशेष बना दिया है। अगली बार यह नजारा 2040 में दिखाई देगा, जब फिर से सात ग्रह एक साथ आकाश में दिखाई देंगे।
खगोल प्रेमियों के लिए खास मौका
खगोल विज्ञान के शौकीनों के लिए सात ग्रहों की दुर्लभ परेड एक सुनहरा मौका है। हर साल ऐसे खगोलीय दृश्य नहीं होते, और जब होते हैं तो यह अवसर होता है कि हम अपने सौर मंडल के ग्रहों को एक नई दृष्टि से देखें। बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि जैसे चमकदार ग्रह जहां आसानी से दिखेंगे, वहीं अरुण और वरुण जैसे ग्रहों को देखने के लिए खास तकनीक और उपकरण की जरूरत होगी।
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड: रोमांचक अनुभव
जिन लोगों ने इस तरह की घटनाएं पहले देखी हैं, वे जानते हैं कि सात ग्रहों की दुर्लभ परेड एक अविस्मरणीय अनुभव है। जब इतने सारे ग्रह एक सीध में होते हैं तो यह दृश्य एक तरह का ब्रह्मांडीय नृत्य प्रतीत होता है। बुध, जो अक्सर नजर नहीं आता, इस बार भी परेड में शामिल है और इसे और भी खास बना रहा है।
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड का आनंद कैसे लें?
अगर आप इस दुर्लभ खगोलीय घटना को देखना चाहते हैं तो यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
समय का ध्यान रखें: सूर्यास्त के तुरंत बाद आकाश को निहारना शुरू करें। ग्रहों को देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के 30 मिनट बाद का होगा।
खुली जगह चुनें: जहां पर कम से कम कृत्रिम रोशनी हो, वहां पर जाना बेहतर होगा। गांवों या शहरों से दूर, किसी खुले क्षेत्र में यह घटना बेहतर तरीके से देखी जा सकेगी।
टेलीस्कोप और दूरबीन का इस्तेमाल करें: अरुण और वरुण जैसे दूरस्थ ग्रहों को देखने के लिए आपको टेलीस्कोप या दूरबीन की आवश्यकता हो सकती है।
खगोल विज्ञान ऐप्स की मदद लें: ऐसे कई एप्स उपलब्ध हैं जो आपको इस खगोलीय घटना का सटीक समय और स्थान बताएंगे। इनकी मदद से आप सही समय पर सही ग्रह को देख सकते हैं।
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड का महत्व
खगोल वैज्ञानिकों के लिए यह घटना केवल एक अद्भुत दृश्य नहीं है, बल्कि यह सौर मंडल और ग्रहों के बारे में और अधिक जानने का एक मौका भी है। सात ग्रहों की दुर्लभ परेड यह दिखाती है कि हमारे ब्रह्मांड में हर चीज एक विशेष तालमेल से चल रही है, और ग्रहों की यह परेड इस तालमेल का एक अद्भुत उदाहरण है।
अंतिम शब्द
सात ग्रहों की दुर्लभ परेड एक ऐसा खगोलीय नजारा है, जिसे देखने का मौका बहुत कम मिलता है। बुध से लेकर वरुण तक, सभी ग्रह एक ही आकाश में एक पंक्ति में दिखाई देंगे, जो खगोल प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव होगा। तो, इस बार की सात ग्रहों की दुर्लभ परेड का आनंद लेने का मौका न गंवाएं, क्योंकि अगली बार यह अद्भुत नजारा 2040 में ही देखने को मिलेगा।
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