Russia-US Friendship: ट्रंप-पुतिन की बढ़ती दोस्ती से चीन को खतरा

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By Pragati Tomer

Russia-US Friendship: ट्रंप-पुतिन की बढ़ती दोस्ती से चीन को खतरा

Russia-US Friendship की चर्चा इन दिनों अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गर्म हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बढ़ती नजदीकियों ने जहां अमेरिका और रूस के रिश्तों को एक नई दिशा दी है, वहीं चीन के लिए यह दोस्ती चिंता का विषय बन गई है। दोनों देशों के बीच हाल ही में हुई राजनयिक वार्ताओं और संबंधों में सुधार की कोशिशों से ऐसा लगता है कि Russia-US Friendship दुनिया में एक नए शक्ति संतुलन की ओर इशारा कर रही है।

ट्रंप-पुतिन की बढ़ती दोस्ती से चीन पर असर

चीन को इस बात की चिंता सता रही है कि Russia-US Friendship के चलते उसकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति कमजोर हो सकती है। ट्रंप प्रशासन का रूस के साथ मेलजोल बढ़ाना और यूक्रेन युद्ध के खात्मे की ओर बढ़ती वार्ता से यह संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका अब रूस को अपना दुश्मन नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक सहयोगी के रूप में देख रहा है। इससे चीन की वैश्विक कूटनीतिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका, रूस के साथ मिलकर चीन की शक्ति को संतुलित करने की योजना बना रहा है, जिससे Russia-US Friendship की अहमियत और बढ़ जाती है।

अमेरिका-रूस वार्ता: राजनयिक संबंधों में सुधार

हाल ही में रूस और अमेरिका के बीच हुई वार्ताओं से यह साफ हो गया है कि दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों को फिर से बहाल करने की दिशा में गंभीर हैं। लंबे समय तक राजनयिकों के निष्कासन और प्रतिबंधों के बाद, अब दोनों देशों ने अपने दूतावासों के कामकाज को सामान्य करने का फैसला किया है। यह कदम Russia-US Friendship को और मजबूती देगा और दोनों देशों के बीच विश्वास की बहाली में मददगार साबित होगा। इस दौरान हुई वार्ता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बड़ा कदम माना जा रहा है, खासकर तब, जब दुनिया यूक्रेन युद्ध और वैश्विक तनाव से जूझ रही है।

चीन की चिंता और ट्रंप की रणनीति

चीन के लिए Russia-US Friendship का मतलब केवल अमेरिका और रूस के बीच नजदीकियां बढ़ना नहीं है, बल्कि उसकी क्षेत्रीय और वैश्विक महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगने का खतरा भी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की रणनीति में रूस को चीन के खिलाफ खड़ा करने की मंशा साफ दिखाई देती है। इससे चीन को कमजोर करने की संभावना बढ़ती जा रही है, और यह स्थिति चीन के लिए चिंताजनक है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन ने अपनी विदेश नीति में यह बदलाव कर रूस के साथ सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि चीन के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके।

Russia-US Friendship

रूस और अमेरिका के बीच नई शुरुआत

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से Russia-US Friendship में तेजी से सुधार देखने को मिला है। पहले जहां दोनों देशों के बीच कूटनीतिक टकराव और प्रतिबंधों का दौर था, वहीं अब दोनों देशों के नेता एक-दूसरे के साथ मिलकर कई वैश्विक मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं। हाल ही में रियाद में हुई वार्ता ने इस दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया, जहां रूस और अमेरिका ने अपने कूटनीतिक संबंधों को सामान्य करने की बात पर सहमति जताई। इससे यह साफ हो गया है कि Russia-US Friendship अब नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रही है।

अमेरिका-रूस सहयोग से वैश्विक संतुलन

Russia-US Friendship केवल इन दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक नया शक्ति संतुलन लाने की क्षमता रखती है। यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में हो रही वार्ताओं से यह संकेत मिल रहा है कि अब अमेरिका और रूस एक नए विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। इससे चीन को न केवल कूटनीतिक स्तर पर, बल्कि आर्थिक और सैन्य स्तर पर भी चुनौती मिल सकती है। रूस और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती का मतलब यह हो सकता है कि चीन की स्थिति कमजोर हो जाएगी और दुनिया में शक्ति का नया संतुलन स्थापित होगा।

राजनयिक और आर्थिक सहयोग में बढ़ोतरी

Russia-US Friendship की बढ़ती मजबूती के साथ दोनों देशों ने अपने राजनयिक और आर्थिक संबंधों को और बेहतर बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। रियाद में हुई वार्ता के दौरान दोनों देशों ने राजनयिक मिशनों के संचालन को फिर से शुरू करने और व्यापारिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। इससे स्पष्ट है कि रूस और अमेरिका दोनों ही अब अपनी पिछली शत्रुता को भूलकर एक नए सिरे से दोस्ती की शुरुआत कर रहे हैं। इस नई दोस्ती का असर अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखाई देगा, जिससे दुनिया के कई देशों को अपने कूटनीतिक समीकरणों पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

Russia-US Friendship के बढ़ने से जहां चीन को चिंता हो रही है, वहीं कई विशेषज्ञ इसे वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक सकारात्मक कदम के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, यह दोस्ती कितनी लंबी चलेगी और किस हद तक दोनों देश एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे, यह देखना बाकी है। लेकिन यह तय है कि Russia-US Friendship ने चीन को एक नई चुनौती दी है और आने वाले दिनों में यह दोस्ती वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव ला सकती है।

ट्रंप की विदेश नीति में बदलाव

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अमेरिका की विदेश नीति में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। जहां पहले अमेरिका रूस को अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखता था, वहीं अब Russia-US Friendship के चलते दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है। ट्रंप की विदेश नीति का यह बदलाव चीन को कमजोर करने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे यह साफ हो गया है कि अब अमेरिका रूस के साथ मिलकर दुनिया की राजनीति में एक नया खेल खेल रहा है।

निष्कर्ष

Russia-US Friendship ने न केवल रूस और अमेरिका के संबंधों को नई ऊंचाइयां दी हैं, बल्कि चीन के लिए एक बड़ी चुनौती भी खड़ी कर दी है। इस दोस्ती का असर आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और शक्ति संतुलन पर साफ दिखाई देगा। ट्रंप और पुतिन की बढ़ती नजदीकियों से यह संकेत मिल रहा है कि अब वैश्विक राजनीति में नए समीकरण बनेंगे और पुराने दुश्मनों के बीच दोस्ती का नया अध्याय लिखा जाएगा। Russia-US Friendship के चलते चीन को अपने भविष्य की रणनीतियों पर गंभीरता से पुनर्विचार करना पड़ेगा।

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