6 साल में डीटीसी को 35000 करोड़ का नुकसान: क्या इसलिए पिछली AAP सरकार ने नहीं पेश की थी सीएजी रिपोर्ट?

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By Pragati Tomer

6 साल में डीटीसी को 35000 करोड़ का नुकसान: बसों की कमी और योजनाओं की असफलता ने बढ़ाया संकट

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की हालत पिछले कुछ सालों में काफी दयनीय हो गई है। एक समय था जब डीटीसी दिल्लीवासियों के लिए सुरक्षित, सस्ता और भरोसेमंद परिवहन का जरिया हुआ करता था, लेकिन अब स्थिति यह है कि डीटीसी को 6 साल में 35000 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है। इस घाटे के पीछे कई प्रमुख कारण हैं, जैसे कि बसों की घटती संख्या, पुरानी बसों की स्थिति, किराया न बढ़ाना, और सही रूट प्लानिंग का अभाव। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट ने इन समस्याओं को उजागर किया है और यह स्पष्ट किया है कि डीटीसी में व्यावसायिक योजना और नीति निर्माण की गंभीर कमी है।

डीटीसी की गिरती स्थिति

सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, 6 साल में डीटीसी को 35000 करोड़ का नुकसान हुआ है, जिसमें प्रमुख रूप से 2015-16 से लेकर 2021-22 तक की अवधि शामिल है। यह नुकसान कई कारकों का परिणाम है, जिसमें डीटीसी की बसों की संख्या में लगातार गिरावट, बसों की पुरानी स्थिति, और संचालन की लागत को संतुलित न कर पाने की अक्षमता प्रमुख हैं। 2015 में डीटीसी के पास 25,300 करोड़ रुपये का घाटा था, जो 2021-22 तक बढ़कर 60,750 करोड़ रुपये हो गया।

बसों की कमी और पुरानी बसों का बोझ

6 साल में डीटीसी को 35000 करोड़ का नुकसान होने का एक प्रमुख कारण बसों की संख्या में कमी और पुरानी बसों का बेड़ा है। सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, डीटीसी के पास 45% से ज्यादा बसें पुरानी हो चुकी हैं, जो बार-बार खराब हो जाती हैं और यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बनती हैं। 2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया था कि डीटीसी के पास 11,000 बसों का बेड़ा होना चाहिए, लेकिन 2022 तक डीटीसी के पास सिर्फ 3,937 बसें थीं, जिनमें से भी 1,770 बसें अपनी उम्र पूरी कर चुकी थीं।

किराया न बढ़ने से बढ़ी आर्थिक तंगी

डीटीसी को 6 साल में 35000 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि 2009 से डीटीसी के किराए में कोई बदलाव नहीं किया गया। जबकि डीटीसी ने किराया बढ़ाने के लिए कई बार अनुरोध किया, लेकिन दिल्ली सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा, महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा ने भी डीटीसी पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाला है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और कमजोर हो गई।

6 साल में डीटीसी को 35000 करोड़ का नुकसान

रूट प्लानिंग की कमी

सीएजी रिपोर्ट में डीटीसी की रूट प्लानिंग की भी गंभीर आलोचना की गई है। डीटीसी कुल 814 रूटों में से सिर्फ 468 रूटों पर ही संचालन कर रही है, जो 57% है। इसके कारण डीटीसी अपनी परिचालन लागत को भी पूरा नहीं कर पा रहा है, जिससे उसे हर साल भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। 6 साल में डीटीसी को 35000 करोड़ का नुकसान होना इस तथ्य का प्रमाण है कि उसकी योजनाओं में गंभीर खामियां हैं।

क्लस्टर बसों का बेहतर प्रदर्शन

डीटीसी की तुलना में क्लस्टर बसों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। जबकि डीटीसी की बसें बार-बार खराब हो जाती हैं और सेवा प्रभावित होती है, क्लस्टर बसों की परिचालन क्षमता डीटीसी की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर है। सीएजी रिपोर्ट में बताया गया है कि डीटीसी की हर 10,000 किलोमीटर की यात्रा में 2.9 से 4.5 बसें खराब हो जाती हैं, जबकि क्लस्टर बसों का ऐसा कोई मुद्दा नहीं है। यह अंतर डीटीसी की योजनाओं और प्रबंधन में असफलता को स्पष्ट रूप से दिखाता है।

दिल्ली सरकार की अनदेखी

सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी की वित्तीय समस्याओं का एक बड़ा कारण दिल्ली सरकार की अनदेखी भी है। सरकार ने डीटीसी के लिए किसी ठोस वित्तीय योजना पर काम नहीं किया, न ही किराया बढ़ाने की मांगों पर ध्यान दिया। दिल्ली सरकार ने 2015 से 2022 के बीच डीटीसी को 13,381 करोड़ रुपये का अनुदान दिया, लेकिन फिर भी डीटीसी को 818 करोड़ रुपये का घाटा झेलना पड़ा।

डीटीसी का भविष्य

6 साल में डीटीसी को 35000 करोड़ का नुकसान होना न केवल दिल्ली के परिवहन तंत्र की असफलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि अगर जल्द ही कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई तो यह स्थिति और भी बदतर हो सकती है। डीटीसी को नई बसों की खरीद करनी होगी, परिचालन में सुधार करना होगा, और किराया बढ़ाने जैसे कड़े कदम उठाने होंगे ताकि उसकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद मिल सके।

सीएजी की सिफारिशें

सीएजी ने डीटीसी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें भी दी हैं, जिनमें बसों की संख्या बढ़ाना, पुरानी बसों को हटाकर नई बसों का बेड़ा शामिल करना, रूट प्लानिंग में सुधार, और परिचालन लागत को संतुलित करने के लिए किराया बढ़ाने पर विचार करना शामिल है। डीटीसी को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए इन सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू करना होगा।

निष्कर्ष

6 साल में डीटीसी को 35000 करोड़ का नुकसान एक गंभीर समस्या है, जो न केवल दिल्लीवासियों के लिए एक चुनौती बन चुकी है, बल्कि दिल्ली सरकार और डीटीसी के प्रबंधन के लिए भी एक चेतावनी है। अगर डीटीसी को फिर से सशक्त और लाभकारी परिवहन निगम बनाना है, तो उसे जल्द से जल्द अपनी योजनाओं पर काम करना होगा और भविष्य के लिए एक ठोस रोडमैप तैयार करना होगा।

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