अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। हाल ही में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि ट्रंप सोने के आयात पर नया शुल्क लगा सकते हैं, जिससे वैश्विक बाजार में उथल-पुथल की स्थिति बन गई है। इस आशंका के चलते अमेरिकी बैंक दुनियाभर में रखे अपने सोने को वापस मंगवा रहे हैं। विशेष रूप से बैंक ऑफ इंग्लैंड से न्यूयॉर्क में सोने की शिफ्टिंग हो रही है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मची हुई है।
रेसिप्रोकल टैरिफ और संभावित सोना शुल्क
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ (जैसे को तैसा टैरिफ) के बाद अब सोने के आयात पर शुल्क लगाने की संभावना जताई जा रही है। यदि ऐसा हुआ तो यह न केवल अमेरिका में सोने की कीमतों को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक बाजार भी इससे अछूते नहीं रहेंगे।

अमेरिकी बैंक और वैश्विक सोने की वापसी
अमेरिकी बैंक इस अनिश्चितता को देखते हुए दुनियाभर में जमा अपने सोने को वापस बुला रहे हैं। बैंक ऑफ इंग्लैंड की तिजोरियों में लगभग 22 लाख करोड़ रुपये का सोना जमा है, जहां से अमेरिकी बैंक अपने भंडार को न्यूयॉर्क स्थानांतरित कर रहे हैं।
न्यूयॉर्क में सोने की शिफ्टिंग के कारण
1. टैरिफ बढ़ने की आशंका: संभावित आयात शुल्क से बचने के लिए अमेरिकी बैंक सोने को घरेलू भंडार में रख रहे हैं।
2. कीमतों में अस्थिरता: सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव की संभावना के कारण अमेरिकी बैंक अपने भंडार को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे हैं।
3. व्यापारिक लाभ: लंदन और न्यूयॉर्क के बीच कीमतों के अंतर से लाभ उठाने के लिए बैंक यह कदम उठा रहे हैं।
भारत पर प्रभाव
अमेरिका की इस नीति का असर भारत के सोने के आयात और जेम्स एंड ज्वेलरी व्यापार पर भी पड़ा है।
सोने की कीमतों में बदलाव
- घरेलू बाजार में 24 कैरेट सोने की औसत कीमत 85,254 रु/ 10 ग्राम तक पहुंच चुकी है।
- जनवरी 2024 में जेम्स एंड ज्वेलरी निर्यात घटकर 19,302 करोड़ रुपये रह गया।
- पिछले महीने देश में सोने का आयात सालाना आधार पर 41% बढ़कर 2300 करोड़ रुपये हो गया।
- चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल-जनवरी तक आयात 32% बढ़कर 4.34 लाख करोड़ रुपये हो गया।

बुलियन मार्केट पर असर
- भारत में बुलियन बैंकों की तिजोरियां खाली हो रही हैं, जिससे आपूर्ति संकट पैदा हो सकता है।
- सोने की लीजिंग दरें एक महीने में दोगुनी हो गई हैं।
- यूएस में बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से सोने की कीमतों में तेजी बनी हुई है।
वैश्विक स्तर पर संभावित असर
1. अंतरराष्ट्रीय व्यापार असंतुलन: सोने पर आयात शुल्क से वैश्विक व्यापार संतुलन प्रभावित होगा।
2. मुद्रा बाजार पर प्रभाव: डॉलर की मजबूती और महंगाई बढ़ने से अन्य मुद्राओं की स्थिति कमजोर हो सकती है।
3. सेंट्रल बैंकों की नीतियों पर असर: वैश्विक केंद्रीय बैंक अपने स्वर्ण भंडार की सुरक्षा के लिए नई रणनीतियाँ अपनाने पर मजबूर होंगे।
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति और संभावित सोना शुल्क वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। अमेरिकी बैंकों द्वारा दुनियाभर से सोने की वापसी इस अनिश्चितता का संकेत देती है। भारत सहित अन्य देशों को इस स्थिति का आंकलन कर उचित नीतियाँ अपनानी होंगी ताकि उनके सोने के भंडार और व्यापार को किसी बड़े झटके से बचाया जा सके।
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