दिल्ली चुनाव: 60.45% वोटिंग, 28 सीटों पर 60% से नीचे रहा मतदान, 2008 के बाद सबसे कम वोट प्रतिशत दर्ज!

Photo of author

By Pragati Tomer

दिल्ली चुनाव: 60.45% वोटिंग, 28 सीटों पर 60% से नीचे रहा मतदान, 2008 के बाद सबसे कम वोट प्रतिशत दर्ज!

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का रण अपने निर्णायक मोड़ पर आ चुका है, लेकिन इस बार एक अनोखी बात सामने आई है। इस बार के चुनाव में 60.45% मतदान हुआ, जो पिछले तीन चुनावों के मुकाबले सबसे कम रहा। दिल्ली की राजनीति में यह गिरावट एक चिंता का विषय बनी हुई है। आखिरकार, इस बार किस कारण से दिल्ली के मतदाता अपने अधिकारों का प्रयोग करने में पिछड़ गए? क्या इस बार चुनावी मैदान में पहले जैसा जोश नहीं था?

2008 के बाद सबसे कम वोट प्रतिशत

दिल्ली चुनाव 2025 में मतदान प्रतिशत 2008 के बाद से सबसे कम दर्ज हुआ है। जहां 2013 के चुनावों में भ्रष्टाचार और लोकपाल जैसे मुद्दों पर जनता एकजुट होकर मतदान करने आई थी, वहीं 2025 में ऐसा कोई बड़ा मुद्दा नहीं दिखा, जो मतदाताओं को आकर्षित कर सके। इस बार, कुल 60.45% वोटिंग के साथ ही 28 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 60% से भी कम रहा।

किन सीटों पर सबसे ज्यादा और सबसे कम वोट?

दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से, मुस्तफाबाद, सीलमपुर, गोकलपुरी, बाबरपुर, त्रिलोकपुरी, सीमापुरी, मटियामहल और रोहतास नगर जैसे क्षेत्रों में 65% से अधिक मतदान हुआ, लेकिन यह भी 2015 और 2020 के चुनावों के मुकाबले कम है। वहीं, पश्चिमी दिल्ली के सुभाष नगर जैसे इलाकों में उत्साह में कमी दिखी, जहां मतदान का प्रतिशत पिछले चुनावों से कम रहा।

दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों में सबसे ज्यादा 66% मतदान हुआ, जबकि कई अन्य क्षेत्रों में आंकड़ा 60% से नीचे गिर गया। यह स्थिति पहली बार देखी गई है, जब दिल्ली के किसी भी विधानसभा क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत 70% तक नहीं पहुंच सका।

2013 और 2015 के मुकाबले क्या बदला?

वर्ष 2013 के चुनावों में जनता का उत्साह चरम पर था। भ्रष्टाचार, लोकपाल और जनहित के मुद्दों ने जनता को एकजुट किया था, जिसके परिणामस्वरूप 66% से अधिक मतदान हुआ। वर्ष 2015 में ‘पानी माफ, बिजली हाफ’ जैसे लोकलुभावन नारे और मोहल्ला क्लीनिक के मुद्दों ने मतदाताओं को लामबंद किया।

लेकिन 2025 में ऐसा कोई प्रमुख मुद्दा नहीं दिखा, जो मतदाताओं को एक दिशा में गोलबंद कर सके। इसके साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में भी वोट बंटने की स्थिति देखी गई। यही वजह है कि मतदान प्रतिशत में गिरावट आई और 2008 के बाद सबसे कम आंकड़ा दर्ज हुआ।

अब नतीजों पर टिकीं सबकी नजरें

मतदान संपन्न हो चुका है, अब हर किसी की नजरें 8 फरवरी पर टिकी हुई हैं, जब चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। दिल्ली के कुल 11 जिलों के 19 मतगणना केंद्रों पर सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती शुरू होगी। इस बार 699 प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनका भाग्य ईवीएम में कैद हो चुका है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कम मतदान के बाद किस दल को जनता का समर्थन मिलता है और कौन सी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर काबिज होगी।

दिल्ली की राजनीति में यह चुनाव एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां कम मतदान के बावजूद परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।

निष्कर्ष

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कम मतदान ने राजनीतिक दलों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। जिस प्रकार पिछले चुनावों में उत्साह देखने को मिला था, वह इस बार गायब था। अब देखना यह होगा कि कौन सी पार्टी इस स्थिति का लाभ उठाती है और किसे यह कमी भारी पड़ती है। चुनावी मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला अब 8 फरवरी को होगा, और दिल्ली के राजनीतिक भविष्य की तस्वीर साफ होगी।

इस बार के नतीजे न केवल दिल्ली की राजनीति को नया मोड़ देंगे, बल्कि भविष्य के चुनावों के लिए भी एक नया संदेश छोड़ेंगे।

Leave a Comment