आखिर क्यों आर्मेनिया ने Tejas Fighter Jet खरीदने की प्रक्रिया रोकी ?

Tejas Fighter Jet deal
आर्मेनिया ने Tejas Fighter Jet deal रोकी

हाल ही में दुबई एयर शो में भारतीय वायुसेना का Tejas Fighter Jet क्रैश होने के बाद कई भू-राजनीतिक घटनाएँ तेजी से बदल रही हैं। इसी घटना के कुछ दिनों बाद खबर आई कि भारत के रणनीतिक पार्टनर आर्मेनिया ने Tejas Fighter Jet खरीदने की प्रक्रिया रोक दी है। इसके बाद एक और बड़ा मोड़ आया—पाकिस्तान जल्द ही आर्मेनिया की राजधानी येरेवन में अपना दूतावास खोलने जा रहा है।

अब सवाल ये है:

क्या ये सब संयोग है?

या पाकिस्तान, तुर्की और अजरबैजान की “थ्री ब्रदर्स” रणनीति भारत के बढ़ते प्रभाव को रोकने की कोशिश कर रही है?

इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।

Tejas Fighter Deal क्यों रुकी?

THE JERUSALEM POST की रिपोर्ट के अनुसार, दुबई एयर शो में डेमो के दौरान क्रैश के बाद आर्मेनिया ने 1.2 बिलियन डॉलर की तेजस खरीद डील पर बातचीत फिलहाल रोक दी है। यह पहला बड़ा इंटरनेशनल एक्सपोर्ट ऑर्डर होता, जिसके तहत आर्मेनिया 12 तेजस विमान खरीदने वाला था।

Tejas Fighter Jet का विकास भारत ने 1982 में शुरू किया था और यह सौदा भारत की रक्षा निर्यात नीति के लिए बेहद अहम माना जा रहा था।

पाकिस्तान आर्मेनिया में दूतावास खोलने की तैयारी में

Economic Times की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान 2025 में आर्मेनिया में दूतावास खोलने की तैयारी में है। दोनों देशों के बीच आधिकारिक रूप से अगस्त 2024 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे।

यह कदम इसलिए विवादित माना जा रहा है क्योंकि अब तक आर्मेनिया भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार बनता जा रहा था। पाकिस्तान खुले तौर पर अजरबैजान को समर्थन देता आया है (जो आर्मेनिया का प्रतिद्वंद्वी है)

तुर्की भी खोल सकता है 1993 से बंद सीमा

Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की अगले 6 महीनों में आर्मेनिया के साथ 1993 से बंद बॉर्डर खोलने पर विचार कर रहा है। यह संकेत है कि क्षेत्र में तेज़ी से कूटनीतिक और राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं।

अजरबैजान के साथ संभावित शांति समझौता

अगर जून में होने वाले चुनावों में आर्मेनिया के प्रधानमंत्री फिर से सत्ता में आते हैं, तो अजरबैजान के राष्ट्रपति उनके साथ ऐतिहासिक शांति समझौता कर सकते हैं।

इसके बाद: तुर्की आर्मेनिया में राजदूत नियुक्त कर सकता है

क्षेत्र में शक्ति समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं

“Three Brothers Alliance” का भारत के लिए खतरा

2021 में पाकिस्तान–तुर्की–अजरबैजान ने मिलकर “Three Brothers” नाम से संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था।

2022 में अजरबैजान ने एक बार फिर आर्मेनिया पर सैन्य दबाव बढ़ाया था।

यह गठबंधन भारत और आर्मेनिया की रणनीतिक साझेदारी के खिलाफ माना जाता है।

भारत-आर्मेनिया रक्षा सहयोग क्यों मजबूत हो रहा था?

भारत ने 2022 में आर्मेनिया को बड़ी सैन्य बिक्री की—

आकाश-1S मिसाइल सिस्टम की करीब 720 मिलियन डॉलर की डील

पहली खेप नवंबर 2024 में आर्मेनिया को मिल चुकी है

दूसरी खेप 2025 तक भेजी जाएगी

इसके साथ भारत यूरेशिया क्षेत्र में मजबूत रणनीतिक स्थिति बना रहा था।

भारत के लिए आर्मेनिया क्यों अहम है?

यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला रणनीतिक कॉरिडोर

पाकिस्तान-तुर्की-अजरबैजान के गठबंधन का संतुलन

इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) की अहम कड़ी

भारत के रक्षा निर्यात बाजार का उभरता केंद्र

2020 के बाद भारत-आर्मेनिया का रिश्ता और मजबूत हुआ है, खासकर नागोर्नो-कराबाख संघर्ष और रूस के कम होते प्रभाव के बाद।

निष्कर्ष: क्या चल रहा है असली खेल?

Tejas Fighter Jet डील का रुकना, पाकिस्तान का आर्मेनिया में दूतावास खोलना और तुर्की-अजरबैजान के कूटनीतिक बदलाव एक बड़े भू-राजनीतिक खेल की ओर संकेत करते हैं।

उद्देश्य है भारत के बढ़ते प्रभाव को रोकना

आर्मेनिया को रणनीतिक रूप से पाकिस्तान-तुर्की ब्लॉक की तरफ शिफ्ट करना

South Caucasus क्षेत्र में शक्ति समीकरण बदलने की कोशिश

भारत के लिए चुनौती है— Tejas Fighter Jet डील को वापस पटरी पर लाना और आर्मेनिया के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाए रखना।

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