देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 4 नवंबर से विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। चूंकि SIR को लेकर कई राज्यों में राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में विपक्षी दल इस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं और इसे चुनाव से पहले मतदाता सूची में छेड़छाड़ की कोशिश बता रहे हैं।
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क्या है SIR?
SIR चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची (Voter List) की गहन समीक्षा की प्रक्रिया है, जिसमें घर-घर जाकर पात्र मतदाताओं की जांच की जाती है और मतदाता सूची को अपडेट किया जाता है। आयोग ने SIR की यह प्रक्रिया पहले बिहार में पूरी की थी और अब इसे 12 राज्यों में लागू किया जा रहा है। यह अभियान 7 फरवरी 2026 तक चलेगा।
SIR पर तमिलनाडु सरकार करेगी सुप्रीम कोर्ट का रुख
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके (DMK) ने इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने विपक्षी दलों के साथ बैठक की और कहा कि सभी दलों की सहमति से यह तय किया गया है कि SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। डीएमके की मांग है कि यह प्रक्रिया 2026 विधानसभा चुनावों के बाद की जाए, लेकिन चुनाव आयोग ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।
बैठक में डीएमके के साथ कांग्रेस, MDMK, विदुथलाई चिरुथिगल काची, वाम दल, मक्कल नीधि मय्यम (कमल हासन की पार्टी), IUML, SDPI, DMDK सहित कई सहयोगी दल शामिल हुए।
पश्चिम बंगाल में TMC का विरोध मार्च
तमिलनाडु की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने SIR को लेकर कड़ा विरोध जताया है । मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में 4 नवंबर को कोलकाता में एक बड़ा विरोध मार्च निकाला जाएगा।
टीएमसी ने आरोप लगाया है कि “विशेष गहन पुनरीक्षण वास्तव में एक गुप्त धांधली है, जिससे मतदाता सूची में छेड़छाड़ की जा रही है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई पात्र मतदाता पीछे न रह जाए।”
सपा ने की जातीय जनगणना की मांग
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) ने SIR में एक नया कॉलम जोड़ने की मांग की है ताकि जातीय जनगणना (Caste Census) भी की जा सके। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह देश के लिए बड़ी प्रक्रिया है और इसमें जातीय जनगणना जरूर शामिल होनी चाहिए। हालांकि, सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने इसे लेकर आशंका जताई कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल विपक्षी वोट बैंक को कमजोर करने के लिए किया जा सकता है।
AAP ने भी उठाए सवाल
आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि बिहार में SIR के बावजूद मतदाता सूची में 5 लाख डुप्लीकेट वोटर हैं।
कांग्रेस का हमला – “वोट चोरी का प्रयास”
कांग्रेस शुरू से ही SIR के खिलाफ मुखर रही है। राहुल गांधी ने इस प्रक्रिया को “वोट चोरी” का प्रयास बताया है और ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकालकर इसका विरोध भी किया। कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप में नहीं बल्कि केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है । कांग्रेस का आरोप है कि विपक्षी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश हो रही है।
केरल की लेफ्ट सरकार भी विरोध में उतरी
केरल की लेफ्ट सरकार (LDF) ने भी SIR का विरोध किया है। एलडीएफ ने निर्वाचन आयोग से इस फैसले की समीक्षा करने की मांग की है। सरकार का कहना है कि जब राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक हैं, तब यह प्रक्रिया लागू करना उचित नहीं है।
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