Home » Blogs » क्यों भारत के 2,000 से ज्यादा सिखों को वीजा देने के लिए मजबूर हुआ पाकिस्तान

क्यों भारत के 2,000 से ज्यादा सिखों को वीजा देने के लिए मजबूर हुआ पाकिस्तान

नई दिल्ली: गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती के अवसर पर पाकिस्तान सरकार ने भारत के 2,150 सिख श्रद्धालुओं को वीजा जारी किए हैं. भारतीय सिख 4 नवंबर को वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान पहुंचेंगे और 13 नवंबर तक वहां विभिन्न गुरुद्वारों में दर्शन करेंगे. यह यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि मौजूदा राजनीतिक तनाव के बावजूद पाकिस्तान को यह वीजा देने के लिए बाध्य होना पड़ा.

गुरु नानक जयंती के मौके पर ननकाना साहिब में मुख्य समारोह

मुख्य कार्यक्रम 5 नवंबर को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में आयोजित होगा. ननकाना साहिब वही स्थान है जहां गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. लाहौर से करीब 80 किलोमीटर दूर इस स्थान पर हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस बार भी भारत से आने वाले सिखों के अलावा स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालु यहां जुटेंगे.

पाकिस्तान सरकार ने जारी किए 2,150 वीजा

इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB)’ के प्रवक्ता गुलाम मोहिउद्दीन ने बताया कि पाकिस्तान सरकार ने विशेष रूप से इस अवसर पर भारत के 2,150 सिखों को वीजा जारी किया है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय 1974 के भारत-पाकिस्तान धार्मिक स्थलों के दौरे संबंधी प्रोटोकॉल के तहत लिया गया है, जिसके अनुसार दोनों देशों के श्रद्धालुओं को एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों पर जाने की अनुमति दी जाती है, भले ही राजनीतिक रिश्तों में तनाव क्यों न हो.

10 दिनों की धार्मिक यात्रा

भारतीय सिखों का जत्था 4 नवंबर को पाकिस्तान पहुंचेगा और 10 दिनों की तीर्थ यात्रा के बाद 13 नवंबर को स्वदेश लौटेगा. इस दौरान श्रद्धालु ननकाना साहिब, पंजा साहिब, करतारपुर साहिब, हसन अब्दाल सहित कई पवित्र गुरुद्वारों में मत्था टेकेंगे.
यह जत्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) और भारत के विदेश मंत्रालय के संयुक्त समन्वय में रवाना होगा.

राजनीतिक तनाव के बावजूद धार्मिक सौहार्द का उदाहरण

पाकिस्तान द्वारा यह वीजा देना ऐसे समय में हुआ है जब दोनों देशों के रिश्ते हाल के महीनों में बेहद तनावपूर्ण रहे हैं. पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा चलाए गए एंटी-टेरर ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहली बड़ी सीमा-पार धार्मिक यात्रा होगी. इसके बावजूद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय दबाव और धार्मिक प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सिख तीर्थयात्रियों को अनुमति देनी पड़ी.

कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान सिख समुदाय के साथ धार्मिक और सांस्कृतिक रिश्तों को बनाए रखना चाहता है, क्योंकि इससे उसे एक सकारात्मक अंतरराष्ट्रीय छवि मिलती है. इसके अलावा, गुरु नानक जयंती जैसे अवसरों पर तीर्थयात्रियों को रोकना पाकिस्तान पर धार्मिक असहिष्णुता का आरोप मढ़ सकता था.

1974 के प्रोटोकॉल की अहम भूमिका

भारत और पाकिस्तान के बीच 1974 में “Protocol on Visits to Religious Shrines” पर हस्ताक्षर हुए थे. इसके तहत दोनों देशों के श्रद्धालुओं को सीमित अवधि के लिए एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों पर जाने की अनुमति दी जाती है. इसी प्रोटोकॉल के तहत हर साल भारत के सिख श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारों का दौरा करते हैं और पाकिस्तान के मुस्लिम तीर्थयात्री भारत के अजमेर शरीफ और अन्य दरगाहों में आते हैं.

सिख समुदाय में उत्साह

भारत के पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड से हजारों सिख श्रद्धालु इस जत्थे का हिस्सा बनना चाहते थे, लेकिन वीजा की संख्या सीमित होने के कारण 2,150 लोगों को ही अनुमति दी गई. अमृतसर स्थित SGPC कार्यालय में तैयारियां जोरों पर हैं. श्रद्धालुओं को यात्रा से पहले विशेष दिशा-निर्देश और सुरक्षा ब्रीफिंग दी जा रही है.

करतारपुर गलियारा भी रहेगा खुला

इस मौके पर करतारपुर कॉरिडोर के जरिए भी कई श्रद्धालुओं के दर्शन करने की उम्मीद है. भारत और पाकिस्तान ने 2019 में इस गलियारे को खोला था, जिससे भारतीय सिख बिना वीजा के करतारपुर साहिब जा सकते हैं. हालांकि यह यात्रा अलग प्रोटोकॉल के तहत होती है, लेकिन गुरु नानक जयंती के दौरान दोनों मार्गों पर तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ जाती है.

पाकिस्तान के लिए भी अवसर

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान इस आयोजन के जरिए यह संदेश देना चाहता है कि वह धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलता है, क्योंकि इन यात्राओं के दौरान सिख श्रद्धालु आवास, भोजन और परिवहन पर खर्च करते हैं.

यह भी पढ़े: जनसंख्या नीति की मांग पर आरएसएस का जोर, कहा- असंतुलन दूर करने के लिए जरूरी कदम

अगर खबर पसंद आई हो तो इसे शेयर ज़रूर करें!
0Shares
Scroll to Top