मुंबई में गुरुवार को बच्चों को बंधक बनाने की सनसनीखेज घटना में आरोपी रोहित आर्या की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, जब उसे आत्मसमर्पण के लिए कहा गया तो उसने गोली चलानी शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की और रोहित मारा गया। घटना के बाद जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। शुरुआती जानकारी के अनुसार, रोहित सरकारी परियोजना के भुगतान न मिलने से काफी नाराज था और इसी गुस्से में उसने यह कदम उठाया।
विषयसूची
पहली बात: सरकारी प्रोजेक्ट का बकाया पैसा बना वजह
सूत्रों के मुताबिक, रोहित आर्या एक सामाजिक कार्यकर्ता था जिसने महाराष्ट्र सरकार की ‘मुख्यमंत्री मेरी शाला, सुंदर शाला’ योजना के तहत ‘पीएलसी स्वच्छता मॉनिटर परियोजना’ पर काम किया था। यह परियोजना राज्य के स्कूलों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए चलाई गई थी। रोहित का दावा था कि इस प्रोजेक्ट के तहत उसे भुगतान नहीं किया गया। उसने कहा था कि पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के कार्यकाल में उसके काम का पैसा रोका गया और लगातार आश्वासन देने के बावजूद कोई भुगतान नहीं हुआ।
दूसरी बात: 2 करोड़ की परियोजना पर किया था काम, फिर भी नहीं मिला भुगतान
सूत्रों के अनुसार, आर्या ने 2013 में ‘लेट्स चेंज’ नामक अभियान शुरू किया था, जो स्कूलों में बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने पर केंद्रित था। बाद में 2022 में उसने अपनी इस पहल को सरकार के अभियान के तहत मुफ्त में आगे बढ़ाया। उसका कहना था कि शिक्षण विभाग ने परियोजना के लिए दो करोड़ रुपये आवंटित किए थे, लेकिन जनवरी 2024 से अधिकारी केवल वादे कर रहे थे। बार-बार विभाग में गुहार लगाने के बावजूद उसे पैसे नहीं मिले। इस भुगतान विवाद के चलते वह आर्थिक और मानसिक रूप से बेहद परेशान था।
तीसरी बात: भूख हड़ताल, आश्वासन और अधूरी मदद
जब रोहित की शिकायतों का समाधान नहीं हुआ तो उसने जुलाई और अगस्त में भूख हड़ताल शुरू की थी। उसने यह हड़ताल शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के सरकारी आवास के बाहर की थी। आर्या का दावा था कि केसरकर ने हड़ताल खत्म करने के बदले व्यक्तिगत सहायता के रूप में उसे ₹7 लाख और ₹8 लाख के दो चेक दिए थे और बाकी रकम जल्द देने का आश्वासन दिया था। लेकिन महीनों बीतने के बाद भी उसे पूरी रकम नहीं मिली। इसी कारण वह गुस्से और निराशा में था।
राजनीतिक हस्तक्षेप और गड़बड़ी के आरोप
आर्या ने यह भी आरोप लगाया था कि ‘स्वच्छता मॉनिटर परियोजना’ में जानबूझकर गड़बड़ी की गई। उसके मुताबिक, जिन स्कूलों ने वास्तव में अच्छा काम किया, उन्हें कम अंक दिए गए जबकि राजनीतिक नेताओं से जुड़े स्कूलों को जानबूझकर विजेता घोषित किया गया। उसने कहा था कि यह परियोजना स्वच्छता सुधार की बजाय राजनीतिक प्रभाव का माध्यम बन गई।
घटना से पहले था बेहद तनाव में
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि रोहित पिछले कुछ महीनों से गहरे तनाव में था। उसने अपने करीबी लोगों से कहा था कि उसे सरकार और अधिकारियों ने धोखा दिया है। कहा जा रहा है कि भुगतान में देरी और प्रशासनिक अनदेखी से वह टूट चुका था। पुलिस का मानना है कि आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव ने उसे यह खतरनाक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
बंधक बनाने की घटना और पुलिस कार्रवाई
गुरुवार को रोहित आर्या ने अचानक एक निजी परिसर में बच्चों को बंधक बना लिया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने इलाके को घेर लिया और उससे आत्मसमर्पण करने को कहा। लेकिन उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिसमें वह मारा गया। मौके से एक पिस्टल और कुछ कारतूस बरामद किए गए हैं। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसे हथियार कहाँ से मिला और उसने इस पूरी घटना की योजना कब बनाई।
समाजसेवी से अपराधी बनने तक का सफर
रोहित आर्या पुणे का रहने वाला था और सामाजिक कार्यों में सक्रिय था। उसने ‘लेट्स चेंज’ नामक संगठन के माध्यम से कई स्कूलों में स्वच्छता अभियान चलाए थे। शुरुआत में उसका मकसद शिक्षा और साफ-सफाई के प्रति जागरूकता फैलाना था, लेकिन सरकारी भुगतान रुकने के बाद उसका रुझान धीरे-धीरे विरोध की ओर बढ़ता गया। उसके करीबी बताते हैं कि वह कई महीनों से सरकारी अधिकारियों से नाराज था और बार-बार कहता था कि “मेरे साथ अन्याय हुआ है।”
जांच जारी
मुंबई पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या किसी ने जानबूझकर उसके भुगतान को रोका या इस मामले में किसी प्रकार की लापरवाही हुई। पुलिस सूत्रों के अनुसार, सरकार ने भी इस घटना की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग से रिपोर्ट तलब की है।
अगर खबर पसंद आई हो तो इसे शेयर ज़रूर करें!

