देश की प्रमुख आईटी कंपनी एचसीएल के सह-संस्थापक अजय चौधरी ने भारत की तकनीकी स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत आज भी मैन्युफैक्चरिंग के बजाय असेंबलिंग तक ही सीमित है, जबकि चीन पूरी दुनिया की तकनीक पर अपना नियंत्रण बढ़ा चुका है। अजय चौधरी ने कहा कि “हम सिर्फ मोबाइलों के पेच कस रहे हैं, लेकिन असली तकनीक और डेटा चीन के हाथ में जा रहा है।”
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चीन की चिप्स पर निर्भर भारत
एएनआई को दिए एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में चौधरी ने कहा कि हमारे आसपास जितने भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद हैं, उनमें से अधिकतर में चीन की बनी चिप्स लगी हैं। उन्होंने बताया कि भारत में चाहे स्मार्टफोन हों, लैपटॉप हों या फिर सरकारी दफ्तरों में इस्तेमाल होने वाली मशीनें – सभी में चीन की तकनीक शामिल है। उन्होंने कहा, “जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली, तब उन्होंने कहा कि हर सरकारी कार्यालय में अटेंडेंस मशीन होनी चाहिए। लेकिन सच यह है कि उन सभी मशीनों में चीन की चिप्स लगी हुई हैं, जिससे हमारे कर्मचारियों का डेटा भी चीन के सर्वर तक पहुंचने की संभावना बनी रहती है।”
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में धीमी प्रगति
अजय चौधरी का मानना है कि भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे अभियानों की शुरुआत तो की, लेकिन असल चुनौती तकनीकी आत्मनिर्भरता हासिल करने की है। उन्होंने कहा कि भारत को सिर्फ मोबाइल असेंबल करने की जगह उनके कोर कंपोनेंट्स यानी चिप्स, सेंसर्स और प्रोसेसर भी खुद बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि “हमारे देश में इंजीनियरों की कमी नहीं है, लेकिन अनुसंधान और डेवलपमेंट (R&D) में निवेश बेहद कम है। जब तक हम रिसर्च पर ध्यान नहीं देंगे, तब तक हम सिर्फ मजदूर बनकर रह जाएंगे, निर्माता नहीं।”
डेटा सुरक्षा पर गंभीर सवाल
चौधरी ने कहा कि जब हमारे उपकरणों में विदेशी चिप्स लगी होंगी, तो डेटा सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि आज देश में जो भी डिजिटल लेनदेन या ऑनलाइन गतिविधियाँ हो रही हैं, उनका बड़ा हिस्सा विदेशी सर्वर पर निर्भर है। उन्होंने सवाल उठाया कि “अगर किसी दिन चीन या कोई और देश इन सर्वरों की एक्सेस बंद कर दे, तो क्या हमारा डिजिटल इकोसिस्टम काम करता रहेगा?” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपने डेटा सेंटर और चिप निर्माण इकाइयों की स्थापना जल्द से जल्द करनी होगी।
चिप मैन्युफैक्चरिंग में भारत का पिछड़ना
अजय चौधरी ने कहा कि सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में भारत अब भी शुरुआती स्तर पर है। जहां ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन ने पिछले दो दशकों में इस क्षेत्र में भारी निवेश किया, वहीं भारत अभी भी विदेशी सप्लायर्स पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि भारत को चिप्स के डिजाइन, निर्माण और परीक्षण में आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ तकनीकी स्टार्टअप्स को भी सहयोग मिले।
स्टार्टअप्स को दिया संदेश
एचसीएल के सह-संस्थापक ने कहा कि भारत में लाखों युवा तकनीकी रूप से सक्षम हैं, लेकिन उन्हें सही दिशा और संसाधन नहीं मिल रहे। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स को केवल ऐप डेवलपमेंट या ई-कॉमर्स तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें हार्डवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भी उतरना चाहिए। उन्होंने कहा कि “अगर भारत के स्टार्टअप्स चिप डिजाइन, साइबर सिक्योरिटी और डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देंगे, तो हम आने वाले 10 सालों में चीन को चुनौती दे सकते हैं।”
सरकारी नीतियों की भूमिका
अजय चौधरी ने कहा कि सरकार ने सेमीकंडक्टर मिशन जैसी योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन अभी तक उनका प्रभाव जमीन पर दिख नहीं रहा। उन्होंने कहा कि नीतियों को तेजी से लागू करने की जरूरत है ताकि निजी निवेशक इस क्षेत्र में भरोसे के साथ कदम रख सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी करते हुए भारत में अत्याधुनिक तकनीकी केंद्र स्थापित करने चाहिए।
आत्मनिर्भर भारत के लिए दिशा
अजय चौधरी का कहना है कि भारत को केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि उत्पादक बनने की दिशा में बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि “हम जितनी जल्दी तकनीक को अपने नियंत्रण में लेंगे, उतनी ही जल्दी हम अपने डेटा और भविष्य को सुरक्षित कर पाएंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत को न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग बल्कि डिजाइन, इनोवेशन और स्वदेशी तकनीक पर ध्यान देना चाहिए ताकि देश तकनीकी रूप से स्वतंत्र हो सके।
अजय चौधरी के इस बयान ने भारत की तकनीकी निर्भरता और डेटा सुरक्षा को लेकर नई बहस छेड़ दी है। उनका मानना है कि भारत को अब केवल “मेक इन इंडिया” का नारा नहीं, बल्कि “डिज़ाइन इन इंडिया” का लक्ष्य अपनाना होगा। जब तक देश अपने तकनीकी ढांचे और चिप निर्माण की दिशा में आत्मनिर्भर नहीं होगा, तब तक चीन जैसी ताकतें भारत के डिजिटल भविष्य को प्रभावित करती रहेंगी।
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