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अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर के लिए दान जबरदस्त, 3000 करोड़ रुपए से भी ऊपर

अयोध्या में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों आगामी मास में भव्य ध्वजारोहण समारोह तय है और इस दौरान सामने आई है एक बड़ी जानकारी: मंदिर निर्माण के लिए श्रद्धालुओं ने अब तक लगभग 3000 करोड़ रुपए से अधिक का दान समर्पित किया है। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि यह राशि उस अनुमानित लागत से कहीं अधिक है जो इस परियोजना के लिए पहले आंकी गई थी।

दान और लागत का अनुपात

मिश्र ने बताया कि 2022 में प्रारंभ हुई निधि-समर्पण अभियान के बाद से देशभर से श्रद्धालुओं ने उदारतापूर्वक योगदान किया है। ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर निर्माण की अनुमानित लागत लगभग 1800 करोड़ रुपए थी, जबकि अब तक लगभग 1500 करोड़ रुपए के बिल तैयार हो चुके हैं। यह दर्शाता है कि जुटाया गया दान लागत से दोगुना करीब हो गया है।

ध्वजारोहण समारोह की तैयारियाँ

मिश्र ने यह भी बताया कि ध्वजारोहण समारोह के लिए सभी दानदाताओं को आमंत्रित किया जाएगा। 25 नवंबर को यह समारोह आयोजित होगा, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी मुख्य अतिथि होंगे। समारोह पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अंतर्गत श्री रचनाकारों ने परीक्षण भी किया है।

श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था

इस मंदिर के अंदर दर्शन की सुविधा की दृष्टि से कहा गया है कि एक-बार में लगभग 5000 से 8000 श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। दक्षिणी निकास द्वार से दर्शन मार्ग तक लगभग 20 मिनट लगेंगे, जबकि सुग्रीव किले तक पूरे मार्ग पर लगभग 40 मिनट का समय अनुमानित है।

अतिरिक्त क्षेत्रों एवं योजनाओं की सम्भावना

मिश्र के अनुसार, 70 एकड़ के बड़े परिसर में शेषावतार मंदिर, कुबेर टीला और सप्त मण्डपम आदि की भी सम्भावना है, जिनके दर्शन एवं भित्तिचित्रों को देखने के लिए प्रधानमंत्री से भी अनुरोध किया जाएगा। यही नहीं, ध्वजारोहण समारोह में 8000 से अधिक लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है, जिनमें दानदाताओं, कंपनियों, आपूर्तिकर्ताओं और श्रमिकों का समावेश होगा।

क्या कहते हैं ट्रस्ट आँकड़े?

हालांकि कुछ स्रोतों में यह आंकड़ा 3500 करोड़ रुपए के आसपास भी बताया गया है कि इस ट्रस्ट ने अब तक इतने दान प्राप्त कर लिए हैं। Organiser+2Organiser+2 इसे ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि दान का प्रवाह अपेक्षा से भी अधिक रहा।

क्या यह दान-लाभ सिर्फ मंदिर निर्माण तक सीमित है?

हाँ — यही नहीं — इस परियोजना से स्थानीय रोजगार, पर्यटन एवं आर्थिक गतिविधियों में भी बढ़ोतरी हुई है। ट्रस्ट के बयान अनुसार, इस तरह के योगदान ने न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक-आर्थिक आयाम भी प्राप्त कर लिए हैं।

यह स्पष्ट है कि श्रद्धालुओं की आस्था और उदारता ने इस भावी भव्य मंदिर निर्माण को केवल धार्मिक कार्य नहीं बल्कि जनता-समूह द्वारा एक साझा प्रयास में बदल दिया है। जितना दान मिला है, वह केवल кирпica या खर्च का हिस्सा नहीं बल्कि विश्वास और समाज-भागीदारी का प्रतीक बन गया है।

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