बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए अब बस एक हफ्ते का ही समय बचा है। इसी बीच राज्य की सियासत में बयानबाजी और राजनीतिक विवाद भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव को कई जगहों पर ‘जननायक’ के रूप में पेश किया गया है, जिसके मद्देनजर आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने टिप्पणी की है।
अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि तेजस्वी यादव को जननायक बनने में अभी समय लगेगा। उनका कहना है कि तेजस्वी यादव लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत से जुड़े हुए हैं और फिलहाल उनकी राजनीति को पूरी तरह परखना बाकी है। बारी सिद्दीकी ने आगे कहा कि जब तेजस्वी यादव कर्पूरी ठाकुर और लालू यादव के पदचिन्हों पर चलते हुए खुद का मजबूत राजनीतिक आधार बनाएंगे, तभी उन्हें जननायक की संज्ञा दी जा सकती है।
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तेजप्रताप ने भी जताई थी आपत्ति
आरजेडी नेता तेजप्रताप यादव, जो तेजस्वी यादव के बड़े भाई और लालू प्रसाद यादव के पुत्र हैं, ने भी होर्डिंग्स में जननायक शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि जननायक शब्द का इस्तेमाल केवल लोहिया जी, कर्पूरी ठाकुर या लालू प्रसाद यादव जैसे बड़े नेताओं के लिए किया जा सकता है। तेजप्रताप ने कहा कि तेजस्वी अभी अपने बलबूते पर खड़े नहीं हैं और फिलहाल वे अपने पिता की राजनीति के सहारे आगे बढ़ रहे हैं। उनका कहना था कि जब तेजस्वी अपनी खुद की पहचान और प्रभाव बना लेंगे, तभी उन्हें जननायक कहा जा सकता है।
आरजेडी ऑफिस के बाहर लगे होर्डिंग्स
चुनावी मौसम के बीच, पटना में आरजेडी कार्यालय के बाहर तेजस्वी यादव की तस्वीरों के साथ बैनर और होर्डिंग्स लगाए गए थे। इन होर्डिंग्स में तेजस्वी यादव को बिहार का नायक बताया गया था। इस कदम पर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई और विपक्षी दलों ने इस पर हमला बोलना शुरू कर दिया।
बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि जिस परिवार का इतिहास विवादों से भरा हो, उसे लेकर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल उचित नहीं है। उन्होंने टिप्पणी की कि लालू प्रसाद यादव के परिवार का इतिहास विवादित रहा है और ऐसे में तेजस्वी को जननायक कहना अनुचित है।
चुनाव प्रचार में तेजस्वी यादव की छवि
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में तेजी से प्रचार-प्रसार हो रहा है। तेजस्वी यादव की छवि को जननायक के रूप में पेश करने का प्रयास महागठबंधन द्वारा किया जा रहा है। हालांकि, आरजेडी के अंदरूनी नेताओं की प्रतिक्रियाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी में इस विषय पर संतुलन बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि होर्डिंग्स और पोस्टर चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन जनता की राय पर इसका असली प्रभाव तब ही दिखाई देगा जब मतदान प्रक्रिया पूरी होगी। तेजस्वी यादव पर ‘जननायक’ का टैग लगाना विवादित हो सकता है, क्योंकि इसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और अन्य विपक्षी दलों द्वारा चुनौती दी जा सकती है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा
आरजेडी महासचिव के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में तेजस्वी यादव के ‘जननायक’ होने की अवधारणा पर बहस छिड़ गई है। कुछ नेताओं का कहना है कि यह शब्द सम्मान और अनुभव का प्रतीक है और इसे केवल समय और परिपक्वता के साथ ही अर्जित किया जा सकता है। वहीं, विरोधी दल इसे चुनावी प्रचार की चाल मान रहे हैं।
तेजस्वी यादव खुद इस समय चुनाव प्रचार में सक्रिय हैं और विभिन्न जिलों में रैलियों और जनसभाओं के जरिए जनता से सीधे संपर्क बना रहे हैं। उनका उद्देश्य बिहार के मतदाताओं को यह दिखाना है कि वे मुख्यमंत्री पद के लिए सक्षम हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान की तारीख नजदीक है और इस समय राजनीतिक बयानबाजी अपने चरम पर है। तेजस्वी यादव को जननायक के रूप में पेश करने का प्रयास महागठबंधन कर रहा है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी नेताओं की राय और विपक्षी दलों के हमलों के कारण यह एक विवादित विषय बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस विवादित शब्द को कैसे स्वीकार करती है और क्या तेजस्वी यादव भविष्य में वास्तविक रूप से ‘जननायक’ की संज्ञा पाने में सफल हो पाते हैं।
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