छठ पूजा 2025: इस साल छठ महापर्व 27 और 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पर्व पूरी श्रद्धा, शुद्धता और सात्विकता के साथ मनाया जाता है। व्रतधारी (छठव्रती) पूजा में विशेष रूप से बिना लहसुन-प्याज वाले सात्विक भोज्य पदार्थ बनाते हैं और प्रसाद मिट्टी या पीतल के बर्तनों में तैयार किया जाता है।
आइए जानते हैं छठ पूजा में चढ़ाए जाने वाले पारंपरिक प्रसादों — ठेकुआ, कसार के लड्डू और रसियाव — को बनाने की आसान विधियां।
विषयसूची
1. ठेकुआ
सामग्री:
- गेहूं का आटा – 2 कप
- गुड़ – ½ कप
- पानी – ¼ कप
- इलायची पाउडर – ¼ चम्मच
- सौंफ पाउडर – ¼ चम्मच
- घी – तलने के लिए
विधि:
- पहले गुड़ को पानी में डालकर हल्की आंच पर घोल लें।
- एक बर्तन में आटा लें, उसमें इलायची और सौंफ पाउडर डालें।
- अब गुड़ का मिश्रण डालकर आटा गूंथ लें।
- आटे की छोटी-छोटी लोइयां बनाकर बेल लें। चाहें तो ठेकुआ का साँचा भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- कढ़ाई में घी गर्म करें और मीडियम आंच पर ठेकुआ को सुनहरा होने तक तलें।
- ठंडा होने के बाद ठेकुआ कुरकुरा हो जाएगा।
2. कसार के लड्डू
सामग्री:
- गेहूं का आटा – 1 कप
- गुड़ – ½ कप
- घी – ¼ कप
- इलायची पाउडर – ¼ चम्मच
- सौंफ पाउडर – ¼ चम्मच
- कटे हुए काजू और बादाम – ¼ कप
विधि:
- कढ़ाई में घी गरम करके आटे को सुनहरा होने तक भूनें।
- अलग से गुड़ को हल्की आंच पर पिघलाकर चाशनी बना लें।
- गुड़ की चाशनी को भूने हुए आटे में मिलाएं।
- उसमें इलायची, सौंफ, काजू और बादाम डालें।
- जब मिश्रण थोड़ा ठंडा हो जाए, तब लड्डू बना लें।
3. रसियाव (गुड़ की खीर)
सामग्री:
- बासमती चावल – ½ कप
- फुल क्रीम दूध – 1 लीटर
- गुड़ – स्वाद अनुसार
- सूखे मेवे – ½ कप
- घी – 1 टी स्पून
विधि:
- चावल को धोकर कुछ देर भिगो दें। फिर एक टी स्पून घी में मिलाकर अलग रख दें।
- दूध को मध्यम आंच पर तब तक उबालें जब तक वह लगभग आधा न रह जाए।
- अब इसमें चावल डालें और पकाएं।
- चावल पकने के बाद उसमें भुने हुए ड्राई फ्रूट्स डालें।
- जब खीर तैयार हो जाए, गैस बंद करें और थोड़ा ठंडा होने पर गुड़ डालें।
- गुड़ डालते समय ध्यान रखें कि दूध गर्म न हो, वरना फट सकता है। गुड़ को छोटे टुकड़ों में या घोलकर डालें।
- अच्छी तरह मिलाकर कुछ देर रख दें — स्वादिष्ट रसियाव तैयार है।
छठ पूजा प्रसाद की खास बातें:
- केवल शुद्ध सामग्री का प्रयोग करें।
- प्रसाद बनाते समय पवित्रता और नियमों का पालन करें।
- मिट्टी या पीतल के बर्तन ही उपयोग में लाएं।
- प्रसाद व्रती ही बनाए और उसका स्वाद पूजा से पहले कोई न चखे।


