दार्जिलिंग। दार्जिलिंग और उत्तरी बंगाल के इलाकों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने तबाही मचा दी है। जिले के कई हिस्सों में भूस्खलन और जलभराव के कारण हालात बेहद खराब हो गए हैं। अब तक 28 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई अन्य अब भी लापता हैं।
इस त्रासदी के बीच, भूटान के ताला डैम से भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। डैम के गेट तकनीकी खराबी के कारण नहीं खुल पा रहे, जिसके चलते डैम का पानी ओवरफ्लो हो रहा है। भूटान की ओर से भारत को चेतावनी दी गई है कि जलप्रवाह बहुत अधिक हो सकता है, जिससे डुअर्स और निचले इलाकों में बाढ़ आने की संभावना है।
बाढ़ और भूस्खलन से मचा कोहराम
दार्जिलिंग जिले के मिरिक और सुखिया पोखरी जैसे इलाकों में लैंडस्लाइड ने कई घरों को तबाह कर दिया। सड़कें बह गई हैं, पुल टूट चुके हैं और कई गांव बाकी क्षेत्र से कट गए हैं। मिरिक में अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जैसे-जैसे बचाव टीमें दुर्गम इलाकों में पहुंचेंगी, मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।
गेट नहीं खुल रहे, डैम ओवरफ्लो पर
भूटान के हाइड्रोलॉजी विभाग (NCHM) के अनुसार, ताला डैम के गेट तकनीकी कारणों से नहीं खुल पा रहे, जिससे पानी बांध के ऊपर से बह रहा है। भारतीय सीमा से लगे जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। सिलीगुड़ी से 15 अतिरिक्त रेस्क्यू कर्मियों को अलीपुरद्वार भेजा गया है।
रिकॉर्ड बारिश और बढ़ता खतरा
शनिवार सुबह 8 बजे से अगले 24 घंटे में दार्जिलिंग में 261 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो ‘अत्यधिक भारी बारिश’ की श्रेणी में आता है। कूचबिहार, जलपाईगुड़ी और आसपास के जिलों में भी भारी बारिश हुई है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि बारिश का सिलसिला जारी रहा तो नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ेगा, जिससे और बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा।
एनडीआरएफ का राहत कार्य जारी
NDRF के उप महानिरीक्षक मोहसिन शहीदी ने बताया कि दार्जिलिंग, अलीपुरद्वार और सिलीगुड़ी में टीमें तैनात हैं। कोलकाता और मालदा से दो और टीमें राहत कार्य में जुड़ने के लिए रवाना की गई हैं। NDRF के जवान लापता लोगों की तलाश और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटे हुए हैं।
स्थानीय निवासियों और प्रशासन की अपील
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है और कहा है कि पहाड़ी क्षेत्रों में फिलहाल यात्रा से बचें। वहीं ग्रामीणों ने सरकार से इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए स्थायी समाधान और पूर्व चेतावनी व्यवस्था मजबूत करने की मांग की है।
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