हाल ही में अभिनेता अक्षय कुमार ने एक चौंकाने वाला वाकया साझा किया, जिसमें उनकी बेटी एक ऑनलाइन गेम खेलते वक्त साइबर अपराध का शिकार होते-होते बच गई। उन्होंने बताया कि गेम खेलते समय किसी अनजान यूज़र ने उनकी बेटी से आपत्तिजनक तस्वीरें भेजने की मांग की थी। यह घटना अकेली नहीं है, बल्कि यह बढ़ते ऑनलाइन खतरे की एक गंभीर चेतावनी है।
ऑनलाइन गेम्स बन रहे हैं साइबर अपराधियों का टूल
भारत में ऑनलाइन गेमिंग का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। मोबाइल फोन, कंप्यूटर, गेमिंग कंसोल्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हजारों गेम्स उपलब्ध हैं। हालांकि सरकार ने ऑनलाइन मनी गेमिंग पर कुछ हद तक नियंत्रण लगाया है, लेकिन अभी भी कई ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जहां बच्चे असुरक्षित गेम्स खेलते हैं। यह साइबर अपराधियों को बच्चों को टारगेट करने का मौका देता है।
मल्टीप्लेयर गेम्स में होता है अधिक खतरा
आज के दौर में मल्टीप्लेयर गेम्स बेहद पॉपुलर हैं। इनमें यूज़र एक-दूसरे से बातचीत कर सकते हैं, फोटो-वीडियो शेयर कर सकते हैं और निजी जानकारी तक बांट सकते हैं। यहीं से खतरे की शुरुआत होती है, क्योंकि कई बार बच्चे अनजाने में अजनबियों से दोस्ती कर बैठते हैं, जो उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
कौन-कौन से खतरे हैं ऑनलाइन गेमिंग में
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कुछ साइबर अपराधी खुद को बच्चों की तरह पेश कर उनका भरोसा जीतते हैं
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निजी जानकारी मांगते हैं, मिलने का दबाव बनाते हैं
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गेम के बहाने डराने-धमकाने की कोशिश करते हैं
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गेम डाउनलोड के साथ वायरस या मैलवेयर डिवाइस में घुस जाते हैं
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फर्जी गेम्स के जरिए कार्ड डिटेल्स, पर्सनल डेटा चुराया जा सकता है
इन सावधानियों से बच्चों को बचाएं
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किसी भी अनजान लिंक से गेम डाउनलोड न करें
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चैटिंग के दौरान नाम, स्कूल, उम्र या पता किसी को न बताएं
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यदि कोई अनुचित भाषा या सामग्री की मांग करे तो तुरंत ब्लॉक करें
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अजनबियों के साथ वॉइस चैट या वीडियो कॉलिंग न करें
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चैट में भेजे गए किसी लिंक पर क्लिक करने से बचें
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अगर कुछ भी असामान्य लगे, तो तुरंत घर के बड़ों को बताएं
पैरेंट्स क्या कर सकते हैं
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बच्चों से लगातार बात करें कि वे क्या और किसके साथ खेल रहे हैं
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गेमिंग के समय और कंटेंट पर निगरानी रखें
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पैरेंटल कंट्रोल सेटिंग्स ऑन करें
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बच्चों को अकेले कमरे में खेलने से रोकें और उन्हें कॉमन एरिया में गेम खेलने दें
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समय-समय पर गेमिंग फ्रेंड्स और चैट हिस्ट्री चेक करें
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गेम अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स को प्राइवेट रखें
अगर बच्चा किसी खतरे में फंस जाए तो क्या करें?
अगर किसी भी तरह की साइबर क्राइम से बच्चा प्रभावित होता है तो तुरंत कार्रवाई करें। भारत सरकार का साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) और हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा 112 नंबर पर पुलिस की मदद ली जा सकती है। सबसे जरूरी बात – घबराएं नहीं, बल्कि स्थिति का सामना करें और बच्चों को भी इसी के लिए मानसिक रूप से तैयार करें।
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