लद्दाख में स्थित Siachen ग्लेशियर, जो दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाता है, वहां रविवार को एक बड़ा हादसा हुआ। 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित आधार शिविर में हिमस्खलन की चपेट में आने से भारतीय सेना के तीन बहादुर सैनिक शहीद हो गए।
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तीन जवान शहीद
भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने बताया कि इस दुखद घटना में सिपाही मोहित कुमार, अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी और अग्निवीर डाभी राकेश देवभाई ने देश सेवा करते हुए अपनी जान गंवाई। सेना ने कहा कि 9 सितंबर को ड्यूटी के दौरान इन वीर जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है।
बचाव अभियान जारी
हादसे के तुरंत बाद सेना ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। कठोर मौसम और खतरनाक परिस्थितियों को देखते हुए विशेष टीमों को मौके पर भेजा गया है। सेना लगातार सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा कर रही है ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से जवानों की जान बचाई जा सके। पूरा देश इन वीर सपूतों के बलिदान पर शोक व्यक्त कर रहा है।
सियाचिन में हिमस्खलनों का इतिहास
सियाचिन ग्लेशियर हमेशा से बेहद चुनौतीपूर्ण और खतरनाक इलाका माना जाता है। इससे पहले भी यहां कई बार जानलेवा हिमस्खलन हुए हैं।
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वर्ष 2021 में सब-सेक्टर हनीफ में हिमस्खलन से दो सैनिकों की मौत हुई थी।
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2019 में 18,000 फीट की ऊंचाई पर हुए हिमस्खलन में चार जवान और दो पोर्टरों की जान गई थी।
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फरवरी 2016 में 19,600 फीट की ऊंचाई पर एक भीषण हिमस्खलन में 10 जवान दब गए थे। इसमें लांस नायक हनमनथप्पा कोप्पड़ भी शामिल थे, जिन्हें जीवित निकाला गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई।
सियाचिन ग्लेशियर में तैनात जवान दिन-रात कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। इनका यह बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा।
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