सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को लगातार सातवें दिन उन याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिनमें विधानसभा से पास हुए बिलों पर राष्ट्रपति और राज्यपाल की मंजूरी की डेडलाइन तय करने की मांग की गई है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते।
पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने दलील दी कि राज्यपालों द्वारा विधेयकों को रोककर रखना संविधान की भावना के खिलाफ है। उनका कहना है कि कानून बनाना विधानसभा का अधिकार है और राज्यपाल की भूमिका सिर्फ औपचारिक होती है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस ए.एस. चंदुरकर की बेंच ने की। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 9 सितंबर तय की है।
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