भारत पर अमेरिका का 50% रेसिप्रोकल टैरिफ 27 अगस्त 2025 से लागू हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया था। इस फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा, इसे लेकर उद्योग जगत के दिग्गजों ने अपनी राय रखी।
त्योहारी सीजन बनेगा राहत का सहारा
PHDCCI के प्रेसिडेंट हेमंत जैन ने कहा कि इस टैरिफ का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरा नहीं होगा। उन्होंने बताया कि भारत में अगले महीने से त्योहारों का सीजन शुरू हो रहा है, जिससे व्यापार और मांग दोनों तेजी से बढ़ेंगे। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था की मजबूती पर पड़ेगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने GST में नए सुधारों की घोषणा की है, जिसके तहत आम जरूरत के सामानों पर टैक्स कम होगा। इससे लोगों की जेब में ज्यादा पैसा बचेगा और वे बाजार में ज्यादा खर्च करेंगे, जिससे डिमांड और ग्रोथ दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
स्टॉक मार्केट पर असर सीमित
हेमंत जैन ने आगे कहा कि भारत की जीडीपी में एक्सपोर्ट का हिस्सा बहुत कम है, इसलिए अमेरिकी टैरिफ का शेयर मार्केट पर ज्यादा असर नहीं होगा। उल्टा यह भारत के लिए एक्सपोर्ट सेक्टर को विविध करने का मौका है।
FTA और प्रभावित सेक्टर्स
उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने यूनाइटेड किंगडम के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) किया है और यूरोपियन यूनियन, न्यूजीलैंड समेत कई देशों के साथ बातचीत चल रही है। हालांकि टेक्सटाइल, जेम्स और ज्वेलरी जैसे लेबर इंटेंसिव सेक्टर्स पर इसका असर पड़ेगा। शॉर्ट-टर्म में सरकार को इन सेक्टर्स के लिए राहत पैकेज देने की जरूरत है।
टेक्सटाइल और लेदर सेक्टर पर संकट
FIEO के प्रेसिडेंट सुभाष चंद्र रल्हन ने कहा कि 50% रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने से करीब 47-48 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट प्रभावित हो सकता है। कुछ टैक्सटाइल एक्सपोर्ट यूनिट्स में काम रुकने की खबर भी सामने आई है। उन्होंने कहा कि लेबर इंटेंसिव टेक्सटाइल और लेदर एक्सपोर्ट सेक्टर में अनिश्चितताएं बढ़ गई हैं। ऐसे में सरकार को अल्पकालिक राहत पैकेज देना चाहिए और एक्सपोर्टर्स को नए बाजार तलाशने होंगे, हालांकि यह काम आसान नहीं होगा।


