दम्पतियों के बीच बढ़ते लड़ाई झगड़ों और तलाक की घटनाओं ने बच्चों की जिंदगियों को नरक बनाकर रख दिया है । मिया बीवी दोनों ही अपने स्वार्थ सुख और अहं के चलते बच्चों को दोराहे पर पहुंचा रहे हैं । बच्चों के लिए दोनों में से एक को चुनना कितना तकलीफदेह होता है इसका अहसास न मां को होता है और न हीं पिता को । अभी हाल ही में तमिलनाडु के चेन्नई से एक ऐसी ही मार्मिक और मानवता को झकझोर कर देने वाली घटना सामने आई। मामला है एक 14 साल की एक बच्ची का जिसने मद्रास हाईकोर्ट की पहली मंजिल के कॉरिडोर से छलांग लगा दी। लड़की के छलांग लगाते ही कोर्ट में अफरा तफरी का माहौल बन गया । पुलिस ने बच्ची को तुरंत अस्पताल में पहुंचाया ।
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बच्ची के माता पिता का तलाक हो चुका
दरअसल बच्ची के माता पिता का तलाक हो चुका है। बच्ची को कोर्ट में न्यायमूर्ति एम.एस. रमेश और न्यायमूर्ति वी. लक्ष्मीनारायणन की पीठ के सामने लाया गया । बच्ची को कोर्ट में लाने का उद्देश्य यह था कि कोर्ट उससे जानना चाहता था कि वह मां के पास रहना चाहती है या पिता के पास । बच्ची ने दोनों के पास ही रहने से इंकार कर दिया और कहा कि वह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपनी दादी के साथ रहना चाहती है
कोर्ट ने अंडमान भेजने से किया इनकार
कोर्ट ने गोपनीय परामर्शदाता की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बच्ची को दादी के पास भेजने से इंकार कर दिया । और कहा कि अंडेमान का माहौल उसके लिए उपयुक्त नहीं होगा। कोर्ट द्वारा यह फैसला दिए हुए कुछ ही मिनट बीते थे कि बच्ची ने कोर्ट नंबर 5 के कॉरिडोर से छलांग लगा दी। ये पूरा मामला तब शुरू हुआ था जब उसके पिता एम.के. नायर ने हैबियस कॉर्पस याचिका दायर कर बेटी के लापता होने की शिकायत की थी। पुलिस ने बाद में उसे अंडमान में उसकी दादी के घर से बरामद किया, जहां वह कथित तौर पर अपनी मर्जी से गई थी।
नहीं निकला कोई नतीजा
सुनवाई के दौरान बच्ची की काउंसलिंग तमिलनाडु मध्यस्थता और सुलह केंद्र में हुई, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकला। काउंसलर ने विशेष मनोचिकित्सीय की सलाह की सिफारिश की गई। अदालत ने निर्देश दिया कि 12 अगस्त तक उसे चेन्नई के सरकारी बालिका गृह में ऱखा जाए। साथ ही बच्ची के पिता को आदेश दिया गया कि वह 13 अगस्त को उसे इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के डॉ. वेंकट के पास ले जाएं और जरूरत हो तो उपचार भी कराएं। मनोचिकित्सक को पिता की काउंसलिंग करने की अनुमति भी दी गई। सभी चिकित्सा व संबंधित खर्च याचिकाकर्ता को वहन करने होंगे। मां और दादी को नियमानुसार मिलने की अनुमति दी गई है। मामला स्थगित कर दिया गया है।
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