🕒 Published 13 hours ago (11:02 AM)
सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी से कड़ा सवाल पूछते हुए कहा, “आपको यह कैसे पता चला कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है?” कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, “अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो इस तरह का दावा नहीं करेंगे।” कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद भाजपा हमलावर हो गई और राहुल गांधी विपक्ष के निशाने पर आ गए। कांग्रेस भी आक्रामक मोड में आ गई है ।
कांग्रेस ने पेश किए तीन बड़े आधार
राहुल गांधी के बयान के समर्थन में कांग्रेस ने तीन आधार प्रस्तुत किए हैं: जिनमें एक पैंगोंग झील यात्रा का अनुभव: राहुल गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी की जयंती पर लेह-लद्दाख का दौरा किया था और बाइक से पैंगोंग झील तक पहुंचे थे। वहां स्थानीय लोगों और गड़रियों ने उन्हें बताया कि अब वे गलवान घाटी के उन इलाकों तक नहीं जा सकते, जहां पहले स्वतंत्र रूप से जाते थे, क्योंकि अब वहां चीन का कब्जा है, भारतीय सेना की मौजूदगी नहीं है।
चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया
दूसरा बीजेपी के ही सांसद तापिर गामी ने संसद में यह स्वीकार किया कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया है। यह बयान संसद की कार्यवाही में रिकॉर्ड पर है। तीसरे राहुल गांधी ने लद्दाख यात्रा के दौरान उन रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों से भी मुलाकात की, जो उन संवेदनशील इलाकों में तैनात रहे हैं । इन अधिकारियों ने उन्हें बताया कि चीन ने कैसे और कितनी जमीन पर कब्जा किया है और अब भारतीय सेना वहां पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही है, जहां पहले नियमित गश्त होती थी।
‘सवाल पूछना संविधान का हक’ – कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए एक वीडियो ट्वीट किया और लिखा, “एक सच्चा भारतीय अपनी सरकार से सवाल पूछता है। यह अधिकार उसे भारत का संविधान देता है, और न्यायपालिका का काम इस अधिकार की रक्षा करना है।”
‘सरकार जवाब देने से डरती है’ – वेणुगोपाल
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, “जब संसद की आवाज दबा दी जाए, तब जनता की आवाज सड़कों पर गूंजनी चाहिए। चीन की घुसपैठ सिर्फ सुरक्षा का मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता पर सीधा हमला है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को संसद और सड़क दोनों जगह उठाया है, लेकिन सरकार प्रचार और दिखावे में इतनी व्यस्त है कि असली सवालों से भागती है। वेणुगोपाल ने आगे जोड़ा, “अगर कोई सरकार देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफल हो जाती है, तो हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य बनता है कि वह सवाल पूछे। लेकिन मोदी सरकार में सवाल पूछना ‘देशद्रोह’ और चुप रहना ‘देशभक्ति’ बन गया है। ‘सच्चे भारतीय’ का तमगा अब डरपोक और आंख मूंदे लोगों के लिए है।”
निष्कर्ष
यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक अधिकारों से जुड़ा है। सवाल ये नहीं कि राहुल गांधी ने क्या कहा, बल्कि यह है कि क्या सवाल पूछने का अधिकार भी अब कठघरे में है?