AI चैट से की गई निजी बातचीत कोर्ट में बन सकती है सबूत, Sam Altman ने दी चेतावनी

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By Hindustan Uday

🕒 Published 6 days ago (9:30 PM)

आजकल लोग अपने पर्सनल मुद्दों पर चर्चा के लिए AI चैटबॉट्स जैसे ChatGPT और Google Gemini का जमकर उपयोग कर रहे हैं। युवा वर्ग तो इन टूल्स को मानसिक सलाहकार या लाइफ कोच की तरह इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन अब इस चलन को लेकर OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने एक गंभीर चेतावनी जारी की है।

AI से की गई निजी बातचीत पूरी तरह सुरक्षित नहीं

सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में बातचीत करते हुए बताया कि लोग अपने सबसे पर्सनल मुद्दों जैसे रिलेशनशिप, करियर, मानसिक तनाव, लाइफ के फैसले आदि पर ChatGPT से सलाह ले रहे हैं। मगर उन्होंने कहा कि इंसानों के साथ की गई ऐसी बातचीत पर प्राइवेसी के लिए कानून हैं, जैसे वकील और क्लाइंट या डॉक्टर और मरीज के बीच की बात गोपनीय मानी जाती है।

लेकिन AI से की गई बातचीत पर कोई ऐसा लीगल ढांचा नहीं है। इसका मतलब है कि अगर भविष्य में कोई कानूनी मामला उठता है, तो AI चैट में की गई बातें अदालत में सबूत के तौर पर पेश की जा सकती हैं। इससे यूजर की निजी जानकारी उजागर हो सकती है।

थैरेपी की जगह ले रहा AI, लेकिन सुरक्षा नहीं उतनी

ऑल्टमैन ने इस बात पर चिंता जताई कि AI की लोकप्रियता बढ़ने के साथ लोग इसे बेहद निजी तरीके से उपयोग करने लगे हैं। पर AI एक मशीन है, इंसान नहीं, इसलिए इसकी बातचीत पर कोई लीगल प्रोटेक्शन मौजूद नहीं है।

उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि इस दिशा में कोई स्पष्ट और मजबूत कानून बने, ताकि यूजर्स की प्राइवेसी को वही दर्जा मिल सके जो एक पेशेवर काउंसलर या डॉक्टर के साथ बातचीत को मिलता है।

क्या होता है लीगल प्रिविलेज?

लीगल प्रिविलेज एक ऐसा कानूनी अधिकार है जिसके तहत डॉक्टर और मरीज या वकील और क्लाइंट के बीच की बातें अदालत में नहीं लाई जा सकतीं। लेकिन AI के साथ हुई चैटिंग पर ये अधिकार लागू नहीं होता।

इसलिए अगर किसी ने मानसिक स्वास्थ्य, रिश्ते या किसी विवाद से जुड़े मुद्दों पर ChatGPT से सलाह ली है, तो भविष्य में ये बातचीत कोर्ट में सामने आ सकती है।

AI चैटिंग को लेकर स्पष्ट नियमों की जरूरत

ऑल्टमैन ने कहा कि भविष्य में AI का इस्तेमाल और बढ़ेगा, ऐसे में जरूरी है कि यूजर्स की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने यह भी बताया कि इस समय कई लोग AI चैटबॉट्स को इंसानों की तरह भरोसेमंद मान रहे हैं, लेकिन उनका डेटा पूरी तरह सेफ नहीं है।

इसलिए सरकारों और कंपनियों को मिलकर एक ऐसा फ्रेमवर्क बनाना चाहिए, जिससे AI चैट्स को भी सुरक्षित और गोपनीय बनाया जा सके।

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