नई दिल्ली – Justice Yashwant Varma Case, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में लाए जा रहे प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस ने अपना रूख साफ कर दिया है । कांग्रेस इस प्रस्ताव को पूरा समर्थन देगी । इस बारे में पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा है कि कांग्रेस के सभी सांसद इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करेंगे । जयराम रमेश ने बताया कि यह कदम तब जरूरी हुआ जब तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजयवंत खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की।
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क्या है मामला? Justice Yashwant Varma Case
मार्च 2025 में, जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास में आग लगने की घटना हुई थी। आग लगने के बाद वहां से जले हुए 500-500 रुपये के नोटों की गड्डियां बरामद हुईं। जस्टिस वर्मा ने इस नकदी के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही थी । इस मामले की सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक तीन सदस्यीय आंतरिक समिति ने मामले की जांच की । इस दौरान कई गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए जिसमें न्यायामूर्ति को दोषी पाया गया ।
Justice Yashwant Varma Case, प्रस्ताव महाभियोग से अलग
न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव लाने की केंद्र सरकार की पहल के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव ने स्पष्ट किया कि यह प्रस्ताव महाभियोग से अलग है। संविधान के अनुच्छेद 124 में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि प्रस्ताव सांसद ही लाते हैं। लोकसभा के 100 सांसद या राज्यसभा के 50 सांसदों के इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर होने चाहिए। हम समर्थन कर रहे हैं। हमारे सांसद लोकसभा में प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी कर रहे हैं । यह महाभियोग के लिए नहीं, बल्कि न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत अध्यक्ष द्वारा तीन सदस्यीय समिति गठित करने के लिए है।’
“सांप्रदायिक और संविधान विरोधी” बयान
जयराम रमेश ने यह भी कहा कि विपक्षी दल, विशेषकर कांग्रेस, इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर यादव के कथित “सांप्रदायिक और संविधान विरोधी” बयानों पर भी कार्रवाई की मांग करेंगे। दिसंबर 2024 में, विपक्ष के 55 सांसदों ने उनके खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया था। लेकिन, राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। रमेश ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर कई बार सभापति और कानून मंत्री से मुलाकात की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
न्यायमूर्ति वर्मा की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
जस्टिस यशवंत वर्मा ने आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जांच निष्पक्ष नहीं थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग की है कि 8 मई को की गई सिफारिश, जिसमें उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है, उसे रद्द किया जाए।
निष्कर्ष
कांग्रेस न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को लेकर संसद में सक्रिय हो गई है। न्यायमूर्ति वर्मा और न्यायमूर्ति यादव – दोनों मामलों में पार्टी ने सख्त रुख अपनाया है। अब संसद के आगामी सत्र में इस पर बड़ी बहस और संभावित कार्रवाई की उम्मीद है।
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